
छत्तीसगढ़ में गउ की राजनीति-
गाय ने भारतीय राजनीति को हमेशा ही प्रभावित किया है कह सकते हैं कि लाभान्वित किया है. राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो गाय का मामला विवादों से भरा रहा है गाय के नाम पर राजनीति उग्र और हिंसक रही है वजह यह है कि मनुष्य की विवेक शून्यता की कोई सीमा नहीं होती नेताओं द्वारा एक निरीह पशुओं का अपने स्वार्थ के लिए उपयोग किया जाता है और जनता की भावनाओं से खेला जाता है राजनीति के इस रूप को जनता समझ नहीं पाती, इरादे भांप नहीं पाती और उनके लिए एक वोट बैंक बनकर रह जाती है अगर छत्तीसगढ़ की राजनीति में गाय की भूमिका की बात करें तो मुख्यमंत्री कहते हैं कि हम गाय के नाम पर गाय की सेवा करते गाय के नाम पर वोट नहीं मांगते गाय के महत्व को उसकी उपयोगिता से लोगों को अवगत कराते हैं ।बीजेपी को उसके ही इस प्रमुख मुद्दे से पीछे धकेल ते हुए उसे की रणनीति से मात देते हुए जनता के सामने पूरे देश में अपनी तरह की पहली योजना,गो धन योजना को सामने लाकर बघेल कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि और पुख्ता करते नजर आते हैं.
इस योजना के तहत ₹2 प्रति किलो की दर से सरकार गाय का गोबर खरीदती है और उसे लाभदायक वस्तु में बदलती है इस योजना का उद्देश्य पशुपालन को आर्थिक रूप से लाभदायक बनाना राज्य में खुले में पशुओं का चरना रोकने के साथ-साथ सड़कों और शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने में भी मदद होगी छत्तीसगढ़ के किसानों और पशुपालकों से गोधन न्याय योजना के तहत राज्य सरकार को किसान गाय का गोबर ₹2 प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं इसके तहत सरकार अब तक एक सौ करोड़ रुपए मूल्य का गोबर खरीद चुकी है गोबर की मात्रा की बात करें तो अब सरकार 5000000 टन गोबर किसानों और गौशाला से खरीद चुकी है.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 20 जुलाई 2020 से गोथन नयाय योजना की शुरुआत की इस योजना के तहत पशुपालकों से गोबर खरीद कर वर्मी कंपोस्ट,जैविक खाद तथा अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है इस योजना के तहत सरकार द्वारा जानवरों के चारे की वयवसथाऔर स्वास्थ्य की देखभाल के लिए भी काम किया जा रहा है महिलाएं इस योजना का लाभ उठाते हुए जैविक खाद का निर्माण कर रही है छत्तीसगढ़ सरकार गो धन न्याय योजना के माध्यम से 21 जुलाई 2020 से पहली बार गाय के गोबर की खरीदी शुरू कर चुकी है इस योजना का मुख्य उद्देश्य पशुओं की सेवा को बढ़ाना और उनकी उपयोगिता को सामने लाना है।
अक्सर यह देखा जाता है कि पशुपालक जो जानवरों का खर्च नहीं उठा पाते उनको भरपेट भोजन नहीं करा पाते अक्सर जानवरों को खुला छोड़ देते हैं इससे गंदगी भी फैलती है और दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती है और गोबर गांव में इधर उधर पड़ा रहता है बघेल सरकार पशुपालन करने वाले किसानों से गोबर खरीदेगी जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और गाय पालन को भी बढ़ावा मिलेगा इस योजना के तहत राज्य के 2200 गांवों में घोठानो का निर्माण किया गया इश्स योजना का कार्य महिला स्वयं सहायता समूहो के माध्यम से किया जाएगा
अब देखना यह है की गोबर अर्थव्यवस्था जो कि भूपेश सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है किसानों और गांव के हालात बदलने में कितनी कारगर साबित होती है.