आरंगः मंदिरों की नगरी के नाम से विख्यात नगर आरंग में वैसे तो जगह-जगह मंदिर देवालय स्थित हैं। भगवान राम जानकी का मंदिर नगर में एक ही स्थान पर है। यह 1901 में निर्मित है। इस लिहाज से 120 वर्ष पुराना और एकमात्र राम जानकी मंदिर है। यह मंदिर नगर के वार्ड क्रमांक 11 कंडरा पारा में स्थित है। जहां पहुंचने के लिए नगर के शीतला मंदिर या राधाकृष्ण मंदिर से संकरा मार्ग है।
पूर्वमुखी इस मंदिर में भगवान राम जानकी व लक्ष्मण की संगमरमर से बनी सुंदर प्रतिमाएं विराजित है। भगवान राम की सुंदर प्रतिमा काले संगमरमर से निर्मित है। इस मंदिर के सामने ही संगमरमर से निर्मित पश्चिम मुखी पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा विराजमान है। जो नगर का एकमात्र पंचमुखी हनुमान है। मंदिर के पुजारी शीतल वैष्णव ने बताया कि यह मंदिर लगभग डेढ़-दो सौ साल पुरानी है। वह लंबे समय से यहां पूजा कर रहे हैं। पहले मंदिर परिसर खंडहरनुमा था, जहां बहुत सांप बिच्छू विचरण करते थे।
बाद में मंदिर के मंडप द्वार का जीर्णोद्धार कराया गया। मंदिर में लगे शीलालेख के अनुसार इसका निर्माण आरंग निवासी स्वर्गीय कामता प्रसाद गुप्ता की धर्मपत्नी सगुनाबाई गुप्ता ने सन् उन्नीस सौ एक में कराया था। वही सामने में स्थापित पंचमुखी हनुमान का निर्माण मदनलाल पूरनलाल अग्रवाल ने सन् 1920 में कराया है। मंदिर पत्थरों व ईंट से निर्मित है। मंदिर परिसर में भगवान भोलेनाथ व जगन्नाथ की प्राचीन प्रतिमाएं भी स्थापित है। मंदिर के प्रवेशद्वार के बाएं ओर एक प्राचीन कुंआ भी है। मंदिर का संचालन मंदिर समिति द्वारा किया जाता है। इधर महेन्द्र पटेल ने बताया कि मंदिर बहुत ही सकरी गली में होने के कारण यहां लोगों का आना-जाना बहुत कम होता है। यह जनआस्था का केन्द्र बना हुआ है।