काइच्चा आमा के चानी अउ नून मिर्ची के कहानी काला कईथें अमचूर, आओ जानबो बनाए के बिधी

RJ NEWS- आमा के दिन आईस अउ घर म अमचूर नई बनीस अईसे कभू नई होय। जभे गर्मी दिन के हवा गर्रा म थोरको कस्सा आमा गिरथे तेला हमन तुरते ताहि छिल पऊल के चाहे अचार बना लेथन अउ नई त अमचूर।
काला कईथें अमचूर
सूक्खा अमचूर
अमचूर जेन ल हिंदी भाखा म खटाई कईथे एहा कस्सा आमा के बनथे अउ भारतीय खान पान म एकर अब्बड़ महत्व रइथे। जब आमा फरे के दिन नई रहय त एकर सुखड़ी ल काम म लाए जाथे। जभे साग दाल म निचट कन अमट सेवाद देहे ब रइथे त एला डारथें चाहे अम्मट साग रांधे ब रइथे त। वइसे त अमचूर के भुरका ल परयोग म लाए जाथे फेर हमर छत्तीसगढ़ी खान पान म जादातर एला सईघो डार देथें।

अमचूर के उपयोग
हमर इहां अमचूर ल कई ठ दार अउ साग म डार के बनाय जाथे अउ खासकर के मउसरी/मसूर के दार म। जेला मस्त लसुन अउ लाल मिर्चा के फोरन म बघार दिए जाथे। खेड़हा के साग, मछरी चाहे सुसकी के अमटहा साग म, जिमीकांदा म घलव एला ल डारे जाथे।
घर म कोनो खट्टा साग बने रथे चाहे कढ़ी म थोड़कन मही ह कम परत रथे तेमा एला ल डाल सकत हें।
अउ तो अउ ताँबा के बरतन उवा ल अमचूर म मांजे ले ओहा एकदम सफा अउ चकाचक हो जाथे।
अइसे कर के एकर अबड़ कन उपयोग हो जाथे।
अमचूर बनाए के बिधी
सबले पहिली जम्मो कस्सा आमा मन ल एकदम रग्ग्स रग्ग्स के दु तीन घ पानी म धो लेना हे।

तहां ले ओला छोलनी म छोल लेना हे। आमा के छोलाई वाला बुता ह अबड़ दुख देथे। लेकिन तभो ओला छोले बर तो पड़बे करही।
अब सब आमा मन ल हसिया म लम्मा लम्मा पऊल देना हे।
पऊले के बाद सूपा पर्रा म कर के एकदम घाम म सुखो देना हे।
सुखाय के बाद जेमन ल भुरका बनाना हे तेमन पीस सकत हें।

ध्यान राखिहा ए बात के
आमा मन एकदम टाँय अम्मट रही तभे अमचूर ह मिठाथे नई त नई मिठाय।
जब अमचूर के पानी ह निच्चट सूखा जाही तभेच ओला डब्बा म भरना हे।

थोरको कच्चहा कही त अमचूर मन भूकड़िया जाहीं।
साल भर म एक दू घ अमचूर ल घाम दिखातेच रईहा।