आज हमन बनाबो हमर डोकरी दाई मन के जमाना के आमा के अचार, जेला हमर भाखा म “फकिया” कहे जाथे
RJ NEWS- जय जोहार संगवारी हो। आज हमन बनाबो हमर डोकरी दाई मन के जमाना के आमा के अचार जेला हमर भाखा म “फकिया” कहे जाथे। त ओहि मन के पुराना तरीका ल अपना के आज हमन फकिया ल बनाबो।
जिनिस
फकिया ल बनाये बर हमन ल चाही:
- 10-12ठ कस्सा आमा
- 1 फूल लसुन
- 10 ठि सुक्खा लाल मिर्चा
- 4 चम्मच दराय वाला सरसों
- 1 चम्मच हरदी
- 3 चम्मच खड़ी धनिया
- 4 चम्मच सरसों के तेल
- अउ सुवाद बार नून
फकिया कईसे बनाई
सबले पहिली बिना चेर वाला कस्सा आमा मन ल छोल के लम्मा-लम्मा चानी बना लेना हे।
तेकर ले सब चानी मन ल पानी म धो के नून हरदी म सान के थोर अकन (१घन्टा) घाम म सुखो देना हे।
आमा के सुखात ले ओखर ब मसाला तियार कर लेना हे।
सबले पहिली थोरकुन नून अउ लसुन ल सिल-लोढ़ा म दरकुटहा पीस लेना हे ।
अब सुक्खा मिर्चा अउ खड़ी धनिया ल भूंज के ओहु ल सील लोढ़ा म पीसना हे।
जब पिसा जाहि तहां ले दरे वाले सरसों, हरदी , लाल मिरचा अउ धनिया के भुरका, नून अउ सिल म पिसाए लसुन ल एक्के ठी बटकी चाहे कोनो बरतन म सरसों के तेल ल डार के मिंझार लेना हे।
जम्मो जिनिस ह मिंझर जाहि तहां ले ओला आमा के चानी म मिंझार के सान लेना हे।
अइसनहा जेमा आमा चानी म मसाला मन लपेटा जाए।
अब जब सब्बो ह मिंझर जाहि तिहा ओला एक ठी बरनी चाहे डब्बा म भर के २ दिन ब छोड़ देना हे। २ दिन के गए ले तीसरान दिन ले फकिया ह खाए के लईक हो जाहि।
फकिया अउ हमर बालपन
संगवारी हो “फकिया” नांव ल सुनतेच सात हमन के आँखी म अपन-अपन बालपन के दिन मन झूलत होहीं। कईसे हमन सब जब नान-नान रहन अउ गरमी के दिन रहय त जब थोरको गर्रा-धूँका होवय त जम्मो लईका मन भाग के जावन अउ बोरी बोरी आमा मन ल बिन के आवन। सबो आपस म स्पर्धा करन के काखर बोरी म सबले जादा आमा हे।
बाकी दिन म घलौ भरे घाम म सब लईका लईका निकल जावन खेत-खार कति। अऊ चुप चाप रखवार के पीठ के पाछु ले ही आमा के रुख म चढ़ के आमा मन ल टोरन अऊ लुका लुका के भागन। अउ जहां रखवार के नजर म पड़ जान तहां उन्हां ले अइसे भागतेच भागन जेमा चप्पल जूता के घलौ के सुध-बुध नई रहय।
घर जब आवन त मस्त कस्सा-कस्सा आमा मन ल धो के छिल काट के नून मिर्चा म चटकारा ले ले के खावन। अउ बाकी आमा मन के हमर दाई-महतारी मन पना अऊ फकिया बनावैं।
बालपन के इहि सब बात मन तो हमर मन म समाय रइथें अऊ जब भी हमन आज के लईका मन ल अईसने करत देखथन त ओहि मन म हमन भी अपन बालपन ल थोर अक जी लेथन।