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इश्क – निकाह प्रतीक और सीमा ने रूढ़िवादी परम्पराओं से हटकर रचाई शादी,पढ़िए कहानी

Ishq Nikah Symbol Border भारत देश अलग – अलग जाति और अलग अलग सम्प्रदायों का राष्ट्र है. धर्म और संप्रदाय होने के चलते सभी अपने-अपने संप्रदाय से घिरे हुए नजर आते हैं कई दफा विवाद की स्थिति भी सामने आती है। विशेषकर जब कोई प्रेमी जोड़े अंतर जाति विवाह करने की बात कह दे तो रूढ़ीवादी परंपराओं को लेकर घर परिवार के लोग मना ही करते हैं। इन्हीं रूढ़ीवादी परंपराओं हटकर अलग करने की ख्वाहिश रखने वाले प्रतीक और सीमा ने सात फेरे लिए और एक दूसरे की हमराही बनने की कसमें खाई है। धर्म और जाति से परे ‘प्रतीक’ और ‘सीमा’ ने अपनी 8 वर्ष पुरानी प्यार की कहानी लिखकर लोगों के बीच अनूठी मिसाल पेश की है.

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दरअसल रायपुर के रहने वाले प्रतीक और अंबिकापुर की रहने वाली सीमा की इश्क और निकाह बारे में बताने जा रहे हैं.।

‘आखिर कहां शुरू हुई दोनों की इश्क’

Ishq Nikah Symbol Border प्रतीक सीमा की इश्क मोहब्बत थोड़ी फिल्मी जरूर लगेगी लेकिन यह हकीकत से ओत-प्रोत है. प्रतीक और सीमा एक दूसरे को कॉलेज के दिनों से जानते थे। जैसे-जैसे जान-पहचान बढ़ती गई, वे एक-दूसरे को पसंद करने लगे। लेकिन इंटरकास्ट होने के कारण दोनों ने इस मामले में अपने घरवालों से खुलकर बात नही कर पाए और दोनों ने अपने अपने परिवार के घरवालों को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंततः काफी मशक्कत के बाद उनके परिवार वाले शादी के लिए राजी हो ही गए.

प्रतीक और सीमा की अनूठी शादी

इस शादी की सबसे बड़ी बात यह भी है कि दोनों ने बिना दहेज के शादी करने का फैसला किया है. प्रतीक ने दहेज से साफतौर पर इनकार कर दिया और आखिरकार इस दहेज प्रथा समाज में दोनों बिना दहेज के शादी कर रहे हैं।

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Ishq Nikah Symbol Border शादी में दूल्हा दुल्हन यानी कि सीमा की घर से एक रुपये का भी दहेज नहीं लेगा और न ही किसी तरह का सामान लेगा। इस बदलते समय में समाज के लिए दहेज प्रथा एक बहुत बड़ी बुराई तो है ही इस को केवल कानून और किताबों के पन्नो में पढ़ा और सुना होगा , लेकिन इन दोनों ने इसे हकीकत में दहेज न लेकर समाज और लोगों को एक सीख भी दे दिया है. देश भर में कहीं ‘दहेज’ के लिए लड़कियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, हजारों-लाखों घरों को महज दिखावे के रूप में तबाह किया जा रहा है। वहीं दहेज न लेने की उनकी पहल काबिले तारीफ है.


इन दोनों की यह कहानी लोगों और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है। अगर इस तरह की शादी से समाज में और कई तरह की रूढ़िवादी परम्पराओं में जकड़े लोगों को भी मुक्ति मिलेगी और खुले मन से अपने और समाज के सामने अपनी बातों रख पाएंगे.

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