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HSS करेली बड़ी में मनाया गया शिक्षक दिवस,सामाजिक मूल्यों एवं नैतिक मूल्यों के विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है किशोर कुमार…….

करेली बड़ी। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करेली बड़ी में शिक्षक दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम ज्ञानदायिनी मां शारदे की प्रतिमा एवं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य किशोर कुमार जांगड़े, सुशील कुमार साहू, बृजेश कुमार देवांगन जितेन्द्र सुकुमार के कर कमलों से किया गया तत्पश्चात छात्र छात्राओं के द्वारा समस्त शिक्षकों को श्रीफल एवं कलम भेंट कर सम्मानित किया गया । शालेय परिवार की ओर से 2021-22के लिए सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में अवध राम साहू को साल श्रीफल एवं डायरी भेंट कर सम्मानित किया गया ।इस मौके पर छात्रा मनीषा , लोकेश, विजय , पायल , पेमेश्वरी, मीना , फलिता, देवकी,गीतेश के द्वारा गीत कविता एवं डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली जीवन पर भाषण प्रस्तुत किया। मंच का संचालन कु. रेशमा, पुष्पांजलि और विद्या ने किया।‌उद्बोधन की कड़ी में प्राचार्य किशोर कुमार जांगड़े ने सुंदर आयोजन लिए छात्र संघ को बधाई देते हुए कहा सांस्कृतिक मूल्यों एवं नैतिक मूल्य के विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है शिक्षा से ही समाज में नई चेतना और जागरूकता लाई जा सकती है।शिक्षक एवं शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने सभा को संबोधित करते बताया जीवन का पहला शिक्षक माॅं है, जो बच्चों को हॅंसना बोलना सिखाती है दुनिया से परिचित कराती है आगे कहा गुरु ब्रह्मा विष्णु और महेश का रूप होता है। क्योंकि गुरु जब शिष्य को संस्कारित करता है संस्कारवान बनाता है तब वह ब्रह्मा होता है और शिष्य के दुर्गुणों को दूर कर उसे मानव बनाता है तब वह विष्णु का रूप होता है। गुरु जब अपने शिष्य को मानव से महामानव बनाता है अर्थात लोकोत्तर जीवन प्रवेश कराता है तब वह महेश का रूप होता इसीलिए गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: कहा जाता था। शिक्षक अवध राम साहू ने सभा को संबोधित करते हुए डॉ राधाकृष्णन के जीवनी पर प्रकाश डाला। सुशील कुमार साहू ने बच्चों को समझाते हुए अपना विचार रखा है वर्तमान समय में हमारे सामाजिक परिवेश में आज जो दुर्व्यसनों का अति
गंभीर भयावह वातावरण निर्मित हो रही है, उसकी विनाशलीला हमारे वर्तमान और आज को झकझोर कर रख दिया है इसे एक श्लोक के माध्यम से समझा जा सकता है– खल: दुर्वृत्तं करोति,नूनं फलति साधुषु।
दशाननोडहरत् सीतां,बंधनं
च महोदधे:।। अर्थात दुष्ट व्यक्ति दुराचार करता है और निशंदेह उसका फल सज्जन व्यक्ति को भोगना पड़ता है । रूक्मनी बंछोर एवं बृजेश कुमार देवांगन ने भी अपना विचार रखा । आभार व्यक्त शाला नायक ताम्रध्वज साहू ने किया ।इस मौके मधु सिंह ठाकुर , दुर्गा सिन्हा, यामिनी गायकवाड़ भुनेश्वर साहू प्रदीप राव नन्नावरे, हेमदास मानिकपुरी विशेष रुप से उपस्थित थे।

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