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रामावतार जग्गी हत्याकांड में आरोपियों की अपील हुई ख़ारिज, उम्रकैद की सजा अब भी बरक़रार…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राकांपा नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड के 22 आरोपियों की अपील को ख़ारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के डीविजन बेंच ने बीते 29 फरवरी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के नेता स्व रामावतार जग्गी हत्याकांड के आरोपियों की अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर गुरुवार को आदेश जारी किया गया है। बता दें कि 4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे।

अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा मिली थी। हालांकि बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे। अब सभी आरोपियों को अपनी ज़मानत पर फिर से सुप्रीम कोर्ट के अपील के माध्यम से करानी पड़ेगी। ग़ौरतलब है कि रामअवतार जग्गी हत्याकांड 2003 कांग्रेस शासनकाल में रामअवतार जग्गी तत्कालीन NCP के कोषाध्यक्ष हत्या के माध्यम हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी और उनके समर्थकों पर हत्या के आरोप लगे थे। NCP के द्वारा लगाया गया था।

उस समय NCP के प्रमुख स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ला थे और उनके कोषाध्यक्ष रामौतार जग्गी हुआ करते थे।जानकारी के अनुसार स्वर्गीय अजीत जोगी और स्वर्गीय पंडित विद्याचरण शुक्ल आपस में कट्टर राजनीतिक दुश्मन थे। जिसका परिणाम विस चुनाव के समय रामावतार जग्गी की हत्या के रूप में आया है। 22 मुख्य आरोपी थे। जिसमें से कुछ आरोपी स्वर्गवास हो चुके हैं । चिमन सिंह , अभय गोयल, याया ढेबर, फ़िरोज़ सिद्दीक़ी के साथ साथ 4-5 पुलिस अधिकारी इसमें मुख्य आरोपी थे। अब सभी आरोपियों के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का आख़िरी समय रह गया है। अगर अपील स्वीकार हो जाती है तो फिर से ज़मानत मिल सकती है वरना सभी आरोपियों को जेल में अपनी सजा के लिए सरेंडर करना पड़ेगा। सम्पूर्ण जानकारी आरोपियों में से एक आरोपी ने अपने नाम नहीं छापने के शर्त में दी।

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