
रायपुर। Budget 2023: केंद्रीय बजट की घोषणाओं का छत्तीसगढ़ की शिक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सात दशकों से स्कूलों में चली आ रही बुनियादी शिक्षा में सीखने-सिखाने की व्यवस्था में ही बदलाव हो जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के चलते अब नर्सरी से कक्षा दो तक के विद्यार्थियों को वर्णमाला अ, आ, ई, ई…, क,ख, ग.. की जगह पहले वाक्य बोलना सिखाया जाएगा। वाक्य के बाद उन्हें शब्द और इसके बाद वर्णमाला पढ़ाई जाएगी। इसी तरह गणित में पहले व्यवहारिक गणित और उसका इस्तेमाल करना सिखाएंगे। इसके गिनती-पहाड़ा रटाया जाएगा। केंद्रीय बजट में नवोन्मेषी शिक्षा विज्ञान को लागू करने का प्राविधान किया गया है।
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इसके तहत छत्तीसगढ़ के 19 जिलों में संचालित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डाइट संस्थान) को जीवंत उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा ताकि प्रदेश के पौने दो लाख शिक्षकों को नई शिक्षा व्यवस्था के तहत प्रशिक्षण दिया जा सके। कुछ वर्षों से डाइट संस्थानों में प्रशिक्षण के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही थी। ये संस्थान मरणासन्न् हो गए थे मगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद एक बार फिर डाइट संस्थानों की पूछपरख बढ़ेगी और शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
इसी तरह पाठ्यक्रम संव्यहार के तहत चूंकि पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के पठन-पाठन की विषयवस्तु होती है और पाठ्यचर्या में विद्यार्थी को क्या आना चाहिए, किस आधार पर विद्यार्थियों को सिखाया जाएगा, आदि का विवरण होता है। इन दोनों में सुधार की व्यवस्था की गई है।
Great news for teachers: छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक बाद आदिवासी विद्यार्थियों के लिए संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की भर्ती हो पाएगी। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है। वर्ष 2005 में यहां 20 एकलव्य विद्यालयों की शुरूआत हुई थी। तब केवल 199 नियमित शिक्षकों की ही भर्ती हो पाई थी। आज की स्थिति में प्रदेश में 73 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय हैं।
इन विद्यालयों के जरिए आदिवासी विद्यार्थियों को निश्शुल्क पढ़ाई और आवास की सुविधा दी जाती है। देशभर के ऐसे विद्यालयों में 38 हजार 800 शिक्षकों और सहायक कर्मियों की भर्ती होनी है। राज्य के 73 एकलव्य विद्यालयों में एक विद्यालय में 52 पदों के हिसाब से तीन हजार 796 शिक्षक और सहायक कर्मी होने चाहिए।
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Great news for teachers: अभी वर्तमान में 1833 कार्यरत हैं। इनमें केवल 199 ही नियमित हैं। बाकी में 729 अतिथि शिक्षक व अन्य दैनिक वेतनभोगी हैं। यहां वर्तमान विद्यालयों में 3,597 खाली पदों में नियमित शिक्षक और सहायक कर्मी नियुक्त होंगे। छठवीं से 12वीं तक संचालित इन विद्यालयों की प्रत्येक कक्षा में 60-60 विद्यार्थी सीट हैं और अभी 19 हजार 125 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
एकलव्य विद्यालयों के लिए बेहतर कदम
शिक्षाविद डा. जवाहर सूरीसेट्टी ने कहा, केंद्र सरकार ने एकलव्य विद्यालयों के लिए बेहतर कदम उठाया है। उन्हें कोडिंग, एआइ, आइओटी और मेक्ट्रोनिक्स जैसे भविष्य के कौशल के साथ-साथ साफ्ट स्किल के विकास के माध्यम से नौकरियों के लिए तैयार करता है। बजट राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कौशल और रोजगार सृजन के उद्देश्य को भी स्पष्ट करता है, जिसमें 30 कौशल भारत केंद्रों की स्थापना की जा रही है।
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