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पहली बार गर्भ में बच्ची के ब्रेन की सफल सर्जरी:10 डॉक्टर की टीम ने दो घंटे किया ऑपरेशन, 2 दिन बाद पैदा हुई मासूम…

सर्जरी के 2 दिन बाद डेनवर नाम की इस बच्ची का जन्म हुआ। तब उसका वजन 1.9 किमी था सात हफ्ते की डेनवर कोलमैन को अभी खबर नहीं है कि वह कितने बड़े चमत्कार के कारण दुनिया में आ सकी है। जब यह बच्ची मां के गर्भ में थी, उसी दौरान इसके ब्रेन की सर्जरी हुई थी। बोस्टन के करीब रहने वाली इस बच्ची ने इस एक्सपेरिमेंटल सर्जरी में शामिल होकर इतिहास रच दिया है।

बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉ. डैरेन ओरबैक ने बताया कि बच्ची के ब्रेन में रेयर ब्लड वैसल एब्नोर्मेलिटी (नसों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या) थी। मेडिकल साइंस में इसे वैन ऑफ गेलेन मैल्फॉर्मेशन (वीओजीएम) कहते हैं। इस कंडीशन में ब्रेन से हार्ट तक ब्लड ले जाने वाली नसें सही ढंग से विकसित नहीं होती है। इससे हार्ट पर जोर पड़ता है।
डेरेक और केन्याटा कोलमैन और उनकी गोद में मुस्कुराती डेनवर।
ब्रेन के अंदर 14 मिमी के पॉकेट में जमा हो रहा था ब्लड
डॉ. ओरबैक बताते हैं,‘डेनवर के दिमाग में 14 मिमी चौड़े पॉकेट में ब्लड जमा होने लगा था। इससे अक्सर बच्चों का हार्ट फेल या फिर ब्रेन डैमेज हो जाता है। वह लंबे वक्त तक जिंदा नहीं रह पाते।’ डॉ. ओरबैक के मुताबिक केन्याटा कोलमैन की गर्भावस्था के 30वें हफ्ते में हमें रुटीन अल्ट्रासाउंड से समस्या पता चली।

15 मार्च को गर्भावस्था के 34वें हफ्ते में हमने इस ऐतिहासिक क्लीनिक ट्रायल के लिए सर्जरी प्लान की। मां को स्पाइनल एनेस्थेटिक दिया गया था, ताकि वह जागृत अवस्था में रहे। वह पूरे समय हेडफोन पर म्यूजिक सुन रही थी।
भ्रूण को घुमाकर नीडिल पहुंचाना चुनौती थी: डॉ. ओरबैक बताते हैं,‘दूसरा चरण था भ्रूण को घुमाना ताकि ब्रेन को सामने लाकर पहुंच बना सकें। भ्रूण को दर्द से बचाने और मूवमेंट रोकने के लिए इंजेक्शन दिया गया था।
डेनवर की यह अल्ट्रासाउंड इमेज 15 मार्च को ली गई थी, जब वह मां के गर्भ में थी और उसके ब्रेन की सर्जरी की जा रही थी।
अमेरिका के अस्पताल में हुआ मेडिकल मिरेकल
हम 10 डॉक्टरों की टीम ने लंबी नीडल को भ्रूण तक पहुंचाने के लिए अल्ट्रासाउंड की मदद ली। वेसेल पूरी तरह विकसित नहीं हुई थी, इसलिए ब्लड फ्लो ज्यादा था। टीम के सदस्यों ने नीडल के जरिए इसके चारों ओर केथेटर पहुंचाया। जिससे ब्लड से भरी हुई जगह में छोटे-छोटे प्लेटिनम कॉइल डाल सकें।

हर कॉइल अंदर जाने पर विस्तारित होती थी। इसे धमनी व नस के जंक्शन को ब्लॉक करने में मदद मिली। इस दौरान टीम के कुछ सदस्यों ने बच्ची के दिमाग में ब्लड फ्लो पर निगरानी रखी। जब सुनिश्चित हो गया कि बीपी सामान्य स्तर पर आ गया है, तब कॉइल इंजेक्ट करनी बंद कर दी और सावधानीपूर्वक नीडल हटा ली। यह सर्जरी 20 मिनट में हुई। पूरी प्रक्रिया में दो घंटे लगे। सर्जरी सफल रही। इसके दो दिन बाद डेनेवर दुनिया में आ गई।

बीपी नॉर्मल हुआ तब सुकून मिला: डॉ. ओरबैक कहते हैं,‘स्कैनिंग के दौरान प्रमुख क्षेत्रों में बीपी नॉर्मल दिखा। जन्म के वक्त वजन 1.9 किलो था। कोई जन्मजात अक्षमता नहीं थी।’ डॉ. ओरबैक कहते हैं, मां और बेटी पूरी तरह स्वस्थ हैं।’ मां केन्याटा कहती हैं,‘जब बेटी का रोना सुना तो, वह फीलिंग बयां नहीं कर सकती।’

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