जांजगीर-चांपा: किसान से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में जैजैपुर विधायक बालेश्वर साहू के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। बिलासपुर हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए पुलिस अधीक्षक विजय पाण्डेय ने इस मामले की जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया है। मामला चांपा थाना क्षेत्र का है, जहां विधायक बालेश्वर साहू के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 और 34 IPC के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अधीक्षक ने CSP योगिता बाली खापर्डे, जांजगीर थाना प्रभारी निरीक्षक मणिकांत पाण्डेय और उप निरीक्षक उमेंद्र मिश्रा को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। जांच टीम तय सीमा में प्रकरण का निराकरण कर न्यायालय में अभियोग पत्र पेश करेगी।
एफआईआर में आरोप है कि विधायक बालेश्वर साहू ने अपने सहकारी बैंक बम्हनीडीह में मैनेजर रहते हुए 2015 से 2020 के बीच किसान राजकुमार शर्मा से 42.78 लाख रुपये की ठगी की। राजकुमार शर्मा का आरोप है कि बालेश्वर साहू ने अपने अधीनस्थ गौतम राठौर के साथ मिलकर किसान क्रेडिट कार्ड के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और लोन की राशि निकाल ली।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में फर्जी दस्तावेज और बैंक लेन-देन के सबूत जुटाए जा रहे हैं। जांच टीम हाईकोर्ट के निर्देश के तहत जल्द से जल्द मामले का निष्पादन सुनिश्चित करेगी। आरोपी विधायक के खिलाफ सभी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जांच अधिकारियों ने कहा कि यह मामला न केवल किसान हितों के लिए संवेदनशील है, बल्कि सरकारी और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। टीम फर्जीवाड़ा और लोन प्रक्रिया की हर जानकारी को दस्तावेजों और बैंक रिकॉर्ड के आधार पर सत्यापित करेगी।
राजकुमार शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने बैंक में जमा राशि और लोन प्रक्रिया के संबंध में सभी दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। उनका कहना है कि इस धोखाधड़ी से उन्हें गंभीर आर्थिक नुकसान हुआ है। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध हो, ताकि किसान हित सुरक्षित रहें और दोषियों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई हो सके। पुलिस ने स्थानीय नागरिकों और बैंक ग्राहकों से अपील की है कि यदि किसी ने भी इसी तरह के फर्जीवाड़े के मामलों की जानकारी हो, तो तुरंत संबंधित थाना को सूचित करें। बालेश्वर साहू के खिलाफ यह मामला राज्य में राजनीति और बैंकिंग क्षेत्र में फर्जीवाड़े की जांच को लेकर नए सवाल खड़े कर रहा है। जांच पूरी होने के बाद ही न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।






