धमतरी। अगर कुछ कर गुजरने का हौसला और जज्बा हो तो दुनिया में इंसान के लिए कोई काम असम्भव नहीं है, जिसे वह कर नहीं सकता। ऐसा ही कारनामा नेत्रहीन धनेश विश्वकर्मा ने कर दिखाया, जिसने दोनों आंखें नहीं होने के बाद भी जिंदगी से हार नहीं मानी। दिव्यांग धनेश बडे कुशलता के साथ टीवी, पंखा, कूलर सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सुधार लेते हैं, जिसे देख हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेता है। इस काम के सहारे जिंदगी में फैली घोर अंधकार को दूर कर अविवाहित धनेश अकेलेपन की जिंदगी में रोशनी को तलाश कर रहे हैं. (expert in repair)
दरअसल, हम बात कर रहे है धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड के ग्राम जोरातराई में रहने वाले 45 वर्षीय धनेश विश्वकर्मा की, जो दोनों आंखों से दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी विद्युत उपकरणों को फटाफट सुधार लेते हैं। दोनो आंख नहीं होने के बाद भी उनके चेहरे पर जरा सा भी निराशा नहीं है। धनेश विश्वकर्मा ने बताया कि उसके दुनिया में आते ही जिंदगी में अंधेरा छा गया, जिसमें रोशनी आज तक नहीं मिली है। धनेस के माता-पिता ने काफी इलाज भी कराया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ बल्कि अभावों और गरीबी के चलते साढ़े तीन एकड़ खेत भी बिक गई। 13-14 साल की उम्र में उसके सिर से माता पिता का साया भी छिन गया। भाई बहन जैसे तैसे कर गुजर बसर कर रहे थे, वहीं शादी योग्य होने पर गांव और समाज के लोगों की मदद से बहन की शादी की गई। (expert in repair)
धनेश ने बताया कि महज 15 साल की उम्र में अपने हाथों में पाना पेंचीस थाम लिया, जिसने पहले विद्युत उपकरण, बोर्ड में बटन होल्डर, वायरिंग करने का प्रयास किया और धीरे-धीरे अनुभव के साथ हौसला भी बढ़ता गया, जिसके लिए लोग उन्हे अपने घरों के बिगड़े बिजली उपकरण को सुधरवाने बुलाने लगे। गौरतलब है कि दृष्टिबाधित धनेश के हौसले को दाद देनी होगी कि वे टीवी, पंखा और कूलर भी बना लेता है, जिसे सुधारते वक्त उन्हें डर बिल्कुल नहीं लगता। (expert in repair)