
राजिम 18 सितंबर। पिछले दिनों महानदी वह पैरी नदी में आई बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया था बर्बादी की एक इबारत लिख दी है। नदी तट पर सब्जी बोने वाले किसान खून के आंसू रो रहे हैं।शहर से लगा गांव चौबेबांधा पैरी नदी के तट पर कछार में ग्रामीण बड़ी संख्या में सब्जी बाड़ी लगाए हुए थे। यह नदी के तट से लगा हुआ है कछारी भूमि है इसलिए कम बारिश में ही अच्छी उपज किसानों को मिल जाती है। तीन महीने तक किसान इस बाड़ी से प्राप्त आय के द्वारा ही घर खर्चा चलाते हैं लेकिन अब उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
गत दिनों आई बाढ़ से सब कुछ बह गया। इनमें से कुछ किसान नवरात्र में उपज प्राप्त करते तो कुछ किसानों की फसल में फुल लगना शुरू हो गया था वहीं कुछेक अभी भी बाडी लगा रहे थे। छोटी बड़ी पौधे जिन पर खाद के साथ ही दवाई छिड़काव कर उन्हें बढ़ाने के काम में लगे हुए थे कि बुधवार को पैरी और सोंढूर नदी दोनों बैरा गई थी। जिनके कारण देखते ही देखते बाड़ी में पानी घुस गया और धार चलने लगी। जिससे पौधा उखड़ कर बह गया। यहां तक की तेज रफ्तार धार ने मिट्टी को भी उखाड़ कर ले गया। इससे किसानों को टोटल नुकसान उठाना पड़ रहा है। तकरीबन 35 एकड़ भूमि में किसान बरबटी, भिंडी, सेमी, ग्वांरफली लगाए हुए थे। किसान पंचूराम पटेल ने बताया कि वह एक एकड़ भूमि में बरबटी,बैगन एवं मिर्च लगाए हुए थे जो बारिश में पूरी तरह से बह गया कुछ बचा हुआ है वह भी सड़ जाएगी इससे उन्हें कम से कम 50000 का नुकसान उठाना पड़ा है अभी वह फसल तोड़ने की शुरुआत ही किए थे कि इस मुसीबत में पड़ गए अब वह लागत मूल्य कहां से पैक करेगा यही चिंता उन्हें सताई जा रही है
। हेमराज सोनकर, प्रीतम साहू, लीला राम साहू ने बताया कि पौधा तेजी के साथ बढ़ रहे थे। फसलों की सेवा में 10 से ₹15000 लागत आ गई है अब हम इनकी वसूली कहां से करेंगे क्योंकि बाढ़ के साथ सब कुछ स्वाहा हो गया है। किसान संतोष सोनकर ने बताया कि आजकाल जोताई का किराया बढ़ गया है पेट्रोल की कीमत बढ़ने से किसानों की जेब खाली हो रही हैं। हमने अपनी बाडी की जोताई करवाए थे। मस्तराम ने बताया कि पौधा बढ़ गए थे फुल लगना शुरू हो गया था बमुश्किल 15 दिन बाद उपज ले लेते और अच्छी कमाई कर लेते लेकिन इस बारिश और बाढ़ ने आफत लाकर उम्मीद पर पानी फेर दिया। इससे हमारी आय प्रभावित हुई है प्रतिदिन परिवार सहित आकर बाड़ी के काम में लगे हुए थे। विश्वास था कि अच्छी कमाई अच्छी फसल के साथ होगी लेकिन यह सपना ही रह गया। इसी तरह से अनेक किसान प्रभावित हुए हैं सबकी अपनी अपनी कहानी है। खेतों में भी बाढ़ का पानी आने से कांप छोड़ गए हैं। इससे धान की फसलों को नुकसान हुई है चुम्मन सोनकर अपने खेत को नींदाई करा कर खाद छिड़काव कर दिए थे तथा गाभिन स्थिति में फसलों की सुंदरता देखते ही बन रही थी लेकिन बाढ़ का पानी भरने से आधे से ज्यादा खेत जलकुंभी से पट गया है। उसे हटाने में बड़ी दिक्कत हो रही है हटाना मुश्किल हो गया है। वह चिंता में डूबे हैं कि आप क्या करें इस तरह से बाढ़ ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। किसानों ने शासन प्रशासन से मुआवजा की मांग की है।