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कांग्रेस छोड़ कर BJP में गए पार्षद, पढ़े पूरी खबर…

बिलासपुर: मन की लालसा पूरी नहीं होने से नाराज पार्षद व जिला योजना समिति के सदस्य विष्णु यादव ने घर (congress) को छोड़कर पराए घर (BJP) में शरण ले ली है। अब वे नई जगह पर यानी कि भाजपा में अपनी ताकत दिखाने के लिए सामाजिक बंधुओं को साधने में लग गए हैं, लेकिन उनकी यह चाल उन पर ही भारी पड़ गई है। बीते दिनों कोटा में उनके साथ जो कुछ हुआ, उसका उन्हें आभास ही नहीं था।

हुआ यूं कि कोटा स्थित अग्रसेन भवन में कोटा विधानसभा क्षेत्र में निवासरत यादव समाज की एक बैठक रखी गई, जिसमें उन्हें भी आमंत्रित किया गया। बैठक में सामाजिक पदाधिकारियों के अलावा 100 से अधिक यादव बंधु जुटे। कुछ क्षण के लिए सामाजिक चर्चा हुई फिर मुद्दे की बात शुरू हुई। बताया जा रहा है कि अतिथि के तौर पर शामिल हुए पार्षद विष्णु यादव को बोलने का मौका दिया गया।

उन्होंने अपने लच्छेदार भाषण में पहले तो सामाजिक ताना-बाना बुना फिर कहा- वर्तमान में लोकसभा चुनाव हो रहा है। इस बार हम सभी को बीजेपी के पक्ष में वोट करना है, क्योंकि कांग्रेस ने यादव समाज का अपमान किया है। हम सबको अपनी ताकत दिखानी होगी। कांग्रेस ने बाहरी यादव को प्रत्याशी बनाकर हमारे सिर पर थोप दिया है। उनका इतना कहना था कि बैठक में शामिल यादव बंधु खड़े होकर हंगामा मचाने लगे।

सामाजिक बंधुओं ने पार्षद विष्णु यादव के शब्दों का विरोध करते हुए कहा कि आप खुद ही यादव होकर एक यादव का विरोध कर रहे हैं फिर हम आप पर विश्वास कैसे करें। माजरा समझ में आते ही उन्होंने बात पलटी और कहा कि वे प्रत्याशी देवेंद्र यादव का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं। इतने में बैठक के बीच से फिर आवाज आने लगी कि कांग्रेस ने तो यादवों का सम्मान किया है, बल्कि बीजेपी ने यादवों का अपमान किया है।

बैठक के बीच से सवाल उछला कि क्या बीजेपी ने यहां से कभी किसी यादव को टिकट दिया है। तेज आवाज में ना का जवाब मिलते ही एक बुजुर्ग ने ऊंगली दिखाते हुए कहा कि हमारा समाज ऐसे ही लोगों (विष्णु यादव) के कारण पीछे है। जब हम खुद ही अपनों का विरोध कर रहे हैं तो दूसरे लोग हमें सम्मान कैसे देंगे। कहा गया कि आपकी पहचान किस पार्टी से बनी, ये सभी जानते हैं। आप पार्षद कैसे और किस पार्टी के बैनर तले बने, ये भी सब जानते हैं। एक युवा ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या आपने नई पार्टी में प्रवेश लेने से पहले समाज को भरोसे में लिया था। नहीं ना। फिर आज किस मुंह से दूसरी पार्टी की वकालत करने आ गए हैं।

युवाओं ने सवाल उछाला कि आप बड़े हैं और समाज में आपका रुतबा है तो आप जो कहेंगे, वह क्या सभी को मान्य होगा। आपके इशारे पर हम वोट करने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि पार्टी आपने अपने स्वार्थ के लिए बदली है। आज सभी समाज जागरूक हो गया है। सब अपने समाज को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं, लेकिन आप तो…। फिर युवा बोले- खैर हमें तो किसी पार्टी से लेना-देना नहीं है। बात समाज पर आ गई है तो हम तो समाज को साथ देंगे। अगर दूसरी पार्टी से भी समाज को टिकट दिया गया होता, तो एक बार सोचने वाली बात थी। बैठक में शामिल बुजुर्गों ने भी युवाओं की बातों का समर्थन किया। इसके साथ ही बैठक समाप्ति की घोषणा कर दी गई।

मस्तूरी विधानसभा में भी हुआ था यही
बताया जा रहा है कि बीते दिनों मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में यादव समाज की बैठक बुलाई गई थी। आयोजक सर्व यादव समाज था। 100 से अधिक लोगों की मौजूदगी में पार्षद विष्णु यादव ने कोटा की बैठक में जो बातें कीं, वही बात वहां भी कही। उनकी बात पूरी होने से पहले ही बैठक में शामिल यादव बंधुओं ने कह दिया कि यह बैठक यादवों की है। इसमें यादव विरोधी बात सहन नहीं किया जाएगा। पक्ष में बात नहीं कर सकते, तो विरोध में भी मत कीजिए। तय हुआ कि वर्षों बाद यादवों को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला है, उससे कोई भी यादव बंधु नहीं चूकेगा।

खुद ही बुलवाते हैं बैठक और करवाते हैं किरकिरी
बताया जा रहा है कि पार्षद विष्णु यादव सर्व यादव समाज के कर्ताधर्ता के समान हैं। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में उनके कुछ करीबी सामाजिक पदाधिकारी हैं। उनके कंधे पर सवार होकर वह अपना हित साधना चाहते हैं। बताते हैं कि पार्षद विष्णु यादव के कहने पर ही विधानसभा क्षेत्र के पदाधिकारी बैठक बुलाते हैं और अतिथि के तौर उन्हें आमंत्रित किया जाता है। बैठक का मुद्दा सामाजिक बताया जाता है और बाद में इसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है, जिससे यादव समाज के सदस्य नाराज होकर पार्षद विष्णु यादव को खरी-खोटी सुनाने से भी नहीं चूकते।

समाज का विरोध करना आदत में शामिल
यादव समाज में पार्षद विष्णु यादव को लेकर यह बात शुमार हो गई है कि समाज का विरोध करना उनकी आदत में शामिल हो गई है। दरअसल, मस्तूरी और कोटा में हुई बैठक में कुछ चुनावों के अनुभव को भी साझा किया गया। यादव बंधुओं ने कहा कि बेलतरा से जब भुवनेश्वर यादव को कांग्रेस से टिकट दिया गया, तब भी आपने (विष्णु यादव) विरोध किया था और दोनों बार मामूली अंतर से भुवनेश्वर यादव को हार का सामना करना पड़ा। मेयर चुनाव में जब रामशरण यादव को टिकट मिला, तब भी आपने ऐसा ही किया।

इसका असर यह हुआ कि समाज के लोग ही दो फाड़ हो गए और नतीजा यह निकला कि रामशरण यादव 35 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए। सवाल उछला कि क्या ये लोग बाहरी थे, जिनका आपने विरोध किया। इस सवाल का जवाब पार्षद विष्णु यादव के पास नहीं था। यादव बंधुओं ने कहा कि हमने खुद का जो नुकसान पहले किया है, उसे अब नहीं दोहराएंगे। अब किसी के बहकावे में नहीं आने वाले। जो समाज का हितचिंतक होता है, वह सामाजिक बंधुओं का विरोध नहीं करता। विरोध वही करता है, जिसका खुद का हित नहीं सधता।

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