रायपुर; प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में आकर भाषण दिया कि कोई भ्रष्टाचारी नहीं बचेगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में भाजपा भ्रष्टाचारियों की संरक्षण बनकर सामने आई है। पहले विपक्षी दल के नेताओं को केंद्रीय एजेंसियां भेजकर धमकाया जाता है उनके खिलाफ ईडी की कार्यवाही करवाई जाती है जैसे ही वे नेता भाजपा में शामिल हो जाते है उनके दामन साफ हो जाते। मोदी पिछले नौ सालों में घोटाले बाजों के राष्ट्रीय संरक्षण कर्ता के रूप में सामने आये है। भाजपा शासित राज्यों में घोटाले पर घोटाले हुए मोदी जी मौन हैं। भ्रष्टाचारियों को छोडूंगा नहीं लेकिन भाजपा शासित राज्यों में 50 लाख करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है। प्रधानमंत्री उसकी जांच से डर रहे मित्र अडानी के घोटाले पर मौन है। उसके बारे में सारा देश बोल रहा प्रधानमंत्री नहीं बोल रहा। भाजपा लीडर लॉन्ड्रिंग मशीन बन गयी है, ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की नौटंकी कर भाजपा की लीडर लॉन्ड्रिंग में लोगों को लाती है। भाजपा में शामिल होते ही आरोपी नेताओं के दाग धुल जाते हैं।
भाजपा शासित राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में विगत वर्षों में हुये कुछ प्रमुख आर्थिक घोटाले
मध्यप्रदेश
1. व्यापम घोटाला – सी.बी.आई. जांच हुई। कार्यवाही नहीं।
2. हजारों करोड़ का ई टेंडरिंग घोटाला- ई.ओ.डब्ल्यू में प्रकरण दर्ज। कार्यवाही नहीं की।
3. पोषण आहार घोटाला – सी.ए.जी. रिपोर्ट में उजागर। कोई कार्यवाही नहीं।
4. 540 करोड़ का शौचालय घोटाला – 4.5 लाख शौचालय कागजों मात्र पर। कोई जांच नहीं।
5. नर्मदा किनारे वृक्षारोपण घोटाला – ई.ओ.डब्ल्यू. में प्रकरण दर्ज। लंबित।
6. अवैध रेत पर घोटाला – डम्पर कांड। जांच रोका है।
7. महाकाल कारिडोर घोटाला – भगवान महाकाल तक को नहीं छोड़ा गया।
गुजरात
6000 करोड़ का कोयला घोटाला, 2008 से 2022 के बीच 60 लाख टन कोयला गायब होने का आरोप। केवल सी.आई.डी. जांच। कार्यवाही नहीं किया।
हरियाणा
1. रोहतक के भाजपा सांसद अरविन्द शर्मा ने ही रोहतक जिले में मिशन अमृत अंतर्गत प्राप्त 400 करोड़ में हुई धांधली का आरोप लगाया था। 30 मार्च 2022 को। जांच नहीं किया।
2. सी.एम. खट्टर के प्रिंसिपल ओ.एस.डी. नीरज दफ्तुआर पर लैंड डील को लेकर गंभीर आरोप लगाये गये है। आरोपों को देखते हुये प्रिन्सपल ओ.एस.डी. ने अक्टूबर 2022 में पद से इस्तीफा दे दिया था। जांच नहीं किया।
3. कुरूक्षेत्र के ज्योतिसर थीम पार्क के निर्माण में अनेक गंभीर अनियमिततओं एवं करोड़ो के भ्रष्टाचार होने के आरोप लगे थे। (2020 में) जांच नहीं किया।
4. हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती में विभिन्न पदों के लिये 20 लाख से 50 लाख रिश्वत के आरोप थे। लोक सेवा आयोग के उप-सचिव अनिल नागर ने स्वयं विजिलेंस विभाग को यह जानकारी दी है। (वर्ष 2016 के बाद की नीतियों में) कोई कार्यवाही नहीं।
उत्तर प्रदेश
1. कोरोना किट की खरीदी – 65 जिलों की 1 लाख पंचायतों में कोविड के दौरान कोरोना किट खरीदने में करोड़ो का भ्रष्टाचार हुआ। ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, सैनिटाइजर एवं मास्क की खरीदी बाजार दर से 3 से 5 गुना अधिक दरों पर खरीदी गयी।
2. 2200 करोड़ का प्रोविडेन्ट फन्ड घोटाला – उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यू.पी.पी.सी.एल.) के चेयरमैन के कर्मचारियों के पी.एफ. की राशि मुम्बई की एक प्राइवेट कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में फिक्स डिपॉजिट में जमा कर दी (2019) विजिलेंस की जांच हुई।
3. बरेली का चिटफंड घोटाला – चिटफंड कंपनी डायमन्ड इन्फ्रालेंड डेवलपर्स नाम की कंपनी ने 5000 लोगो के 300 करोड़ की जमा राशि लेकर फरार हो गयी। एफ.आई.आर. भी हुई। (2020)
छत्तीसगढ़ रमन राज
रमन राज के 15 साल में छत्तीसगढ़ में 1 लाख करोड़ का घोटाला हुआ, नान घोटाला, चिटफंड घोटाला, शराब घोटाला, पनाम पेपर्स घोटाला, गौशाला अनुदान घोटाला, इंदिरा बैंक घोटाला जैसे घोटाले जिसमें सीधे मनी लॉन्ड्रिंग हुई थी, उसकी ईडी से जांच क्यों नहीं करवाते? हमने रमन सिंह के शासनकाल के 34 घोटालों की सूची सार्वजनिक किया था उस पर प्रधानमंत्री मौन थे।
विपक्ष द्वारा उनके नेताओं को येन-केन प्रकारेण बदनाम करने के उद्देश्य से झूठे प्रकरण बनाकर फंसाने के आरोप भी स्वतः सिद्ध हो जाते है। लेकिन यह स्पष्ट है कि भाजपा नेताओं को अब भ्रष्टाचार के बारे में एक भी शब्द बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा के विपक्ष को कुचल कर लोकतंत्र को समाप्त करने एवं तानाशाही स्थापित करने का षड्यंत्र देश के नागरिकों के सामने बेनकाब हो चुका है। विभिन्न राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव एवं 2024 के लोकसभा के चुनाव में जनता लोकतंत्र की मजबूती के लये वोट देगी तथा भाजपा की बुरी तरह पराजय होना भी निश्चित हो चुका है। पत्रकार वार्ता में प्रदेश महामंत्री प्रशासन रवि घोष, महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेन्द्र छाबड़ा, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, वंदना राजपूत उपस्थित थे।