रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक में कंजेक्टिवाइटिस की रोकथाम के उपायों की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कंजेक्टिवाइटिस से बचने के उपायों और सावधानियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके। उन्होंने विशेषज्ञों की सलाह का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों को यह बताया जाए हाथों को बिना साफ किए हाथ आंखों में ना लगाएं, जिससे संक्रमण ना हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पतालों में कंजेक्टिवाइटिस के मरीजों का प्राथमिकता के साथ इलाज किया जाए। ताकि उन्हें अस्पतालों में ज्यादा समय न रुकना पड़े। स्कूलों में भी यदि किसी बच्चे को कंजेक्टिवाइटिस होता है तो संक्रमण से बचने के लिए उन्हें घर भेज जाए। मुख्यमंत्री ने अस्पतालों में कंजेक्टिवाइटिस के मरीजों की जांच और इलाज तथा दवाईयों की उपलब्धता की समीक्षा भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कंजेक्टिवाइटिस की रोकथाम के उपायों का सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। पर्याप्त मात्रा में दवाईयां उपलब्ध हैं और मरीजों को निःशुल्क दवाईयां दी जा रही हैं। बैठक में उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्रीमती रेणु जी. पिल्ले, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला, स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री सिध्दार्थ कोमल सिंह परदेशी, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक लोक शिक्षण श्री सुनील जैन, स्वास्थ्य मिशन के एमडी श्री विलास भोसकर संदीपन, संचालक महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने बैठक में कहा कि पिछले सप्ताह कंजेक्टिवाइटिस के जो मरीज मिले थे, उनमें से अधिकांश स्वस्थ हो गये है। दुर्ग, रायपुर में ज्यादा मरीज मिले थे। उन्होंने कहा कि लोग मेडिकल स्टोर से स्वयं स्टेराइड दवाईयां लेकर आंखों में डाल रहे है, ऐसा करना नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
कंजेक्टिवाइटिस से डरने की नहीं, सावधानी की जरूरत
बैठक में विशेषज्ञों ने बताया कि कंजेक्टिवाइटिस से डरने की जरूरत नहीं है, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक जांच और उपचार की व्यवस्था है। लोगों को निःशुल्क दवाईयां दी जा रही हैं। अस्पतालों में यह ध्यान रखा जाए कि यदि संक्रमण है तो आपरेशन नहीं किया जाए। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि सामान्यतः यह बीमारी 3 दिन में ठीक हो जाती है। यदि ठीक नहीं होती, आंखों में तकलीफ रहती है या दृष्टि में धुंधलापन आता है तो नेत्र विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं। लोग हाथ मिलाने से बचें और बिना साफ किए हाथ आंखों में ना लगाएं।