रायपुर: वरिष्ठ भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पर शासकीय धन का दुरूपयोग कर, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रचार करने के गंभीर आरोप लगाये है। श्री अग्रवाल ने खुलासा किया है कि प्रचलित वित्त वर्ष में विधानसभा द्वारा 110 करोड़ रूपए का बजट, मुख्यमंत्री को स्वैच्छानुदान राशि के रूप में छत्तीसगढ़ के गरीबों के ‘‘ईलाज, शिक्षा और शादी-ब्याह‘‘ जैसे कामों के लिए स्वीकृत किया गया है, उसे मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी के प्रचार-प्रसार में लगाने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं और लोगों को आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले बांटा है।
श्री अग्रवाल ने सभी कलेक्टरों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने स्वैच्छानुदान राशि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बांटी, तो इसके गंभीर परिणाम, उन्हें भोगने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि स्वैच्छानुदान राशि मुख्यमंत्री की निजी प्रापर्टी नहीं है, ये शासकीय धन है जो गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए जारी की गया है।
श्री अग्रवाल ने आरोप लगाया कि स्वेच्छानुदान राशि किसे दिया जाना है, इसके लिए गाईड लाईन बनी हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री ने दबाव डालकर, नियम विरूद्ध, विधानसभा क्षेत्रो में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एक साथ हजारों की संख्या में जारी किया गया है। यह सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता का उलंघन है। चुनाव आयोग को तत्काल इस पर कड़ा एक्शन लेकर, उन अधिकारीयों के खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए, जिन्होंने गाईड लाईन के विरूद्ध जाकर, स्वैच्छानुदान राशि स्वीकृत कर, कांग्रेस पार्टी के कार्य कर्ताओं को बांटने के लिए जिलों में कलेक्टरों को भेजा है।
श्री अग्रवाल ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों के बजट को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बांटना, अमानवीय और गरीबों के पेट पर लात मारने जैसा है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने शासन को धन लूटने का एक जरिया बनाया हुआ है। इसीलिए विधानसभा चुनावों में निश्चित हार देखते हुए, गरीबों के 110 करोड़ रूपए की स्वेच्छानुदान राशि को भी नहीं छोड़ा। श्री अग्रवाल ने एक उदहारण के द्वारा भी समझाया कि गरीबों के 110 करोड़ रूपये कांग्रेस पार्टी द्वारा लूटने से, गरीबों परिवारों का कितना नुकसान हुआ है ?
श्री अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री इस राशि का उपयोग कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बांटने की बजाय, यदि एक गरीब परिवार की बेटी के ब्याह के लिए 25-25 हजार रूपये जारी करते, तो प्रदेश की 40 हजार से अधिक गरीब परिवारों की बेटियों का विवाह हो जाता। लेकिन मुख्यमंत्री को प्रदेश के गरीबों का नहीं, उन्हें तो छत्तीसगढ़ की सत्ता सिर्फ लूटने के लिए चाहिए थी, स्वेच्छानुदान राशि का दुरूपयोग उसका प्रत्यक्ष उदहारण है। उन्होंने कहा अब प्रदेश के 64 लाख से अधिक बीपीएल गरीब परिवारों के सामने, उनके हक पर डकैती डालने वाले, लूटेरे कांग्रेस राज को विधानसभा चुनावों सबक सीखने का अवसर है। कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ में पांच साल तक गरीबों सताया और लूटा है, उनकी विदाई तय है, गरीबों का स्वाभिमान वापस बहाल होगा।