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Chhattisgarh: होली क्रॉस स्कूल में RTI के तहत पढ़ रहे बच्चों का भविष्य के साथ खिलवाड़, परीक्षा में बैठाने से किया इनकार…

बिलासपुर: आज होली क्रॉस स्कूल से पहुंचे बच्चों के एक जुलूस ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। यह सभी बच्चे होली क्रॉस स्कूल में आरटीई के तहत पढ़ रहे हैं। लेकिन शासन के द्वारा इनके फीस की राशि विगत 3 वर्ष से शाला प्रबंधन को नहीं दी गई है। शाला प्रबंधन ने इस बाबत अनेक बार शासन को पत्र भी लिखा लेकिन उसके बावजूद शासन ने आरटीई के तहत पढ़ने वाले छात्रों की लंबित फीस जमा नहीं की। इसके चलते होली क्रॉस स्कूल प्रबंधन ने इन छात्रों को अपने शाला में पढ़ाने और 22 जुलाई से होने वाली परीक्षा में शामिल कराने से इनकार कर दिया है।

स्कूल से कलेक्टर को ज्ञापन देने के लिए पहुंचे बच्चों ने कलेक्टर से मांग की है कि वे शासन से होली क्रॉस स्कूल की लंबित फीस की राशि तत्काल अदा करने की व्यवस्था करें। जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होने से बच जाए। काबिले गौर है कि होली क्रॉस स्कूल लाल खदान को विगत 3 वर्षों से शासन के द्वारा मिलने वाली आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों की राशि नहीं मिल पाई है।, जिनके कारण आर टी ई . में पड़ रहे बच्चों का भविष्य अधकारमय नजर आ रहा है।

20 जुलाई को शाला प्रबंधक ने आरटीई में पढ़ रहे सभी बच्चों के अभिभावकों के साथ मीटिंद की थी। जिसमें शाला प्रबंधक ने छात्रों के अभिभावकों को बता दिया था कि होली क्रॉस स्कूल की RTE में पढ़ने वाले बच्चों को शासन के द्वारा राशि दी जाती है।, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई की सार्थक व्यवस्था हो पाती है। किसी कारण होली क्रॉस स्कूल को विगत 3 वर्षों से शासन से राशि प्राप्त नहीं साल है।

होली क्रॉस स्कूल प्रबंधक ने बताया कि। वे शासन को दो-तीन बार पत्र भी लिख चुके हैं। इसके बावजूद अब तक राशि प्राप्त नहीं हुई है। जिसके कारण प्रबंधन ने 22 जुलाई को होने वाली परीक्षा में इन बच्चों को शामिल नहीं करने देने का अल्टीमेटम दे दिया है। प्रबंधन ने बच्चों के अभिभावकों से साफ कह दिया है कि या तो वे आरटीई के तहत शासन से 3 साल से लंबित रकम मांग कर लाएं। या फिर अभिभावक अपनी जेब से बच्चों की फीस भरें।

ऐसा नहीं होने पर शाला प्रबंधन आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों की व्यवस्था करने में और असक्षम है। स्कूल के द्वारा बकायदा बच्चों को 3 साल से शासन से बिना कोई राशि प्राप्त किए पढ़ाया जा रहा है। लेकिन शासन को भी चाहिए कि वह आरटीई के तहत स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस समय पर शाला प्रबंधन को उपलब्ध कराएं।

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