CG Breaking: डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई पर रोक, कमिश्नर, कलेक्टर व राज्य सरकार से जवाब तलब…
रायपुर: सामान्य प्रशासन विभाग ने रायगढ़ जिले की डिप्टी कलेक्टर रेखा चन्द्रा को 16 मई 2023 को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमे इनके अक्षमता प्रमाण पत्र को नवीनीकृत करवा कर पेश करने के निर्देश दिये थे। Rights of the Person with Disabilities Act, 2016 की धारा 91 में वांछित प्रावधानों के मुताबिक जिला चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी निशक्तता प्रमाण-पत्र बाकायदा पेश करने कहा था। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी उक्त नोटिस को चुनौती देते हुए रेखा चन्द्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसकी सुनवाई न्यायमुर्ति जस्टिस पी. पी. साहू के सामने हुई जिसमे याचिककर्ता के विरुद्ध कोई भी प्रतिकूल आदेश (no coercive steps) नहीं परित करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, दीक्षा गौरहा और जैनब वनक द्वारा याचिककर्ता की ओर से दायर याचिका में सुनवाई के समय यह दलील दी गई कि Rights of the Person with Disabilities Act, 2016 की धारा 91 में निहित प्रावधान इस मामले में याचिकाकर्ता में लागू नही होता। रेखा चन्द्रा रायगढ़ जिले में वर्ष 2019 से डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत है। 43 प्रतिशत अक्षमता का प्रमाण-पत्र रेखा चन्द्रा द्वारा पेश किया गया था।
इस प्रमाण-पत्र को इनके द्वारा अविधिक तरीके से प्राप्त किये जाने की शिकायत माह अगस्त 2019 में मुख्यमंत्री के समक्ष की गई थी। दुर्ग संभाग के सभागीय चिकित्सा बोर्ड राजनांदगांव में शारीरिक परीक्षण किया गया था। बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण-पत्र में 57 प्रतिशत निशक्तता दर्शित है और यह रेखा चन्द्रा के श्रवणबाधा की काफी बढ़ोत्तरी को दर्शाता हैं। तथा बाईलेट्रल मोडरेटली सिवियर हियरिंग लॉस का सर्टिफिकेट भी प्रदान किया गया था। याचिकाकर्ता रेखा चन्द्रा के विरूद्ध पेश शिकायत की उचित विभागीय जांच कर आयुक्त को विस्तृत जांच रिपोर्ट भी दी जा चुकी थी इसप्रकार इनके खिलाफ पेश शिकायत फर्जी और निराधार ठहराया गया।
नियुक्त्ति के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव द्वारा निशक्तता प्रमाण-पत्र की प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए दायर की गई जनहित याचिका WPPIL 36/2023 में प्राधिकरण द्वारा मंडल के चिकित्सा बोर्ड द्वारा उचित विधिवत प्रमाणित सर्टिफिकेट जारी किया गया था। जिसकी वैधता पहले ही सत्यापित की जा चुकी थी।
16 जून 2023 को याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय हाईकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। और साफ निर्देश दिए है कि याचिकाकर्ती के खिलाफ किसी भी प्रकार का प्रतिकूल कदम (no coercive steps) नही उठाएँ।