
रायपुर, 13 जून 2023: प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रदेश प्रभारी संजीव झा और आम आदमी पार्टी, डॉक्टर्स विंग के स्टेट इंचार्ज डॉ. विक्रांत केसरिया ने आज, मंगलवार को भूपेश सरकार पर कई सवाल खड़े किए। सहप्रभारी संजीव झा ने कहा कि प्रदेश में कुल 9 सरकारी मेडिकल कॉलेज, 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और एक एम्स है। लेकिन इन सभी मेडिकल कॉलेजों की हालत बद से बदतर है। आईसीयू, बेहोशी डॉक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉस्टि, एक्सरे मशीन समेत मूलभूत व्यवस्थाएं नहीं है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का स्तर क्या है। यानि की पूरी की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। आज 23 सालों बाद भी हालत बेहद खराब है। उन्होंने कहा, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और सीएम भूपेश बघेल के सियासी तकरार में छत्तीसगढ़ की जनता लगातार पिस रही है। The hospitals here are on ventilator
आम आदमी पार्टी के डॉक्टर्स विंग के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत केसरिया ने कहा, प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज रायपुर में सिर्फ एक एमआरआई मशीन और एक ही सिटी स्कैन मशीन है। ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी होती है। किसी मरीज को सिटी स्कैन, एमआरआई या सोनोग्राफी कराना है तो एक से डेढ़ महीने का इंतजार करना पड़ता है। सीबीसी एक छोटी सी जांच है, जिसके लिए रिएंजेंट 7 महीने से नहीं था। जो अभी आया है, लेकिन सिर्फ दो महीने के लिए उपलब्ध है। इसका कारण यह है कि मेडिकल कॉलेज में समय से टेंडर नहीं हो पा रहा है।
डॉ. विक्रांत केसरिया ने कहा, प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना सिम्स बिलासपुर में 23 साल बाद भी न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट विकसित नहीं हो पाया है। यहां एक न्यूरो सर्जन थे, जिन्हें मेडिकल सुपरिंटेंडेंट बना दिया गया। ऐसे में हेड इंजरी का जो भी मरीज आता है उसे रायपुर या फिर प्राइवेट अस्पताल रेफर करना पड़ता है। जबकि इस तरह के जब भी मरीज आते हैं तो उनका इलाज तुरंत करना अति आवश्यक होता है, अन्यथा जान जा सकती है। सिम्स बिलासपुर अभी भी पुरानी बिल्डिंग में संचालित हो रहा है। जबकि बीजेपी के शासन काल में बिलासपुर के कोनी में जमीन आवंटित की गई थी। लेकिन बीजेपी की सरकार जाने के बाद कांग्रेस की सरकार आई है, आज 5 साल बीतने वाला है, लेकिन अभी भी सिम्स शिफ्ट नहीं हो पाया है। जबकि वहां (कोनी) में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नाम पर नई इमारतें बना दी गई, लेकिन वहां कोई व्यवस्था नहीं है और सिम्स अभी भी पुराने जिला अस्पताल के बिल्डिंग में संचालित हो रहा है। The hospitals here are on ventilator
डॉ. विक्रांत केसरिया ने बताया कि बीजेपी के शासन काल में राजनांदगांव में मेडिकल कॉलेज बनाया गया था, जो कि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह गृह विधानसभा क्षेत्र है। जहां से वे लगातार विधायक रहे, लेकिन यहां अबतक सिटी स्कैन मशीन की व्यवस्था नहीं हो पाई है। सिटी स्कैन के लिए मरीज को जिला अस्पताल भेजा जाता है। 10 साल बाद भी यहां यह व्यवस्था नहीं हो पाई है। एमआरआई की जो व्यवस्था मेडिकल कॉलेज में होनी चाहिए, वह आउटसोर्स पर टिकी हुई है। प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर में मरीजों को एमआरआई जांच के लिए भेजा जाता है।
डॉ. विक्रांत केसरिया ने कहा, पूरे प्रदेश में सिर्फ दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल (डीकेएस) में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट है। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रदेश का इकलौता सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है। लेकिन यहां की रेडियो डायग्नोसिस और ब्लड टेस्ट पूरी तरह से ठेकेदारी प्रथा पर चल रही है, इसलिए यहां से लगातार अव्यवस्थाओं की तस्वीरें सामने आ रही हैं। रमन सरकार में उनके दामाद पुनीत गुप्ता पर करोड़ों रुपए के घोटाला का आरोप लगा था, लेकिन भूपेश सरकार ने अबतक कोई जांच नहीं करवाई।
केसरिया ने कहा, भूपेश सरकार ने दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण किया, लेकिन अबतक यह बात सामने नहीं आई कि कितना पैसा देकर इसका अधिग्रहण किया गया। किस शर्त पर किया गया? इस मामले में सालों पहले पत्रकारों ने सवाल भी पूछा, लेकिन अबतक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। जबकि ऐसी खबरें सामने आई थी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टीएस सिंहदेव को दरकिनार करते हुए अपने रिश्तेदार को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कदम उठाया था। न तो स्वास्थ्य मंत्री से कोई सलाह ली गई और न ही कोई बात की गई। इस मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी सिजेरियन सेक्शन ऑपरेशन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जच्चा-बच्चा दोनों की जान जाने का खतरा बना रहता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अभीतक यहां तक पहुंचने के लिए पक्का मार्ग तक नहीं बन पाया है।
केसरिया ने कहा, प्रदेश के जिला अस्पतालों में ब्लड बैंक की व्यवस्था नहीं है। सिटी स्कैन की तो बात छोड़िए, सोनोग्राफी तक की व्यवस्था नहीं है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब मेडिकल कॉलेजों में सिटी स्कैन की व्यवस्था नहीं है तो जिला अस्पतालों की हालत क्या होगी है। जबकि किसी भी सर्जरी के लिए खून की जरुरत पड़ती है लेकिन अधिकतर जिला अस्पतालों में ब्लड बैंक की व्यवस्था ही नहीं है। उन्होंने कहा, प्रदेशभर में बाकी अन्य जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, किसी में भी मूलभूत जांच की व्यवस्था नहीं है।