नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी. यद्यपि मुस्लिम पक्ष ने शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान एएसआई सर्वेक्षण की कवायद को ‘पुराने घाव को हरा किया जाना’ बताया. सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई से मना कर दिया. पीठ ने एएसआई और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया कि सर्वेक्षण के दौरान कोई खुदाई नहीं की जाएगी और न ही संरचना को कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा.
पीठ ने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल के जरिये एएसआई की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि (विवादित) स्थल पर कोई खुदाई किए बिना और संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना सर्वेक्षण का काम पूरा किया जाएगा.’ पीठ ने कहा, ‘यह नहीं कहा जा सकता कि सीपीसी (नागरिक प्रक्रिया संहिता) के आदेश 26 नियम 10ए के तहत निचली अदालत का आदेश प्रथम दृष्टया क्षेत्राधिकार के बिना है.’
शीर्ष अदालत ने कहा कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के साक्ष्य मूल्य को मुकदमे में सुनवाई के दौरान परीक्षण से गुजरना है और इस पर जिरह करने और आपत्तियां दर्ज कराने का रास्ता अब भी खुला है. न्यायालय ने कहा कि इसलिए, ऐसा नहीं समझा जाना चाहिए कि एएसआई की रिपोर्ट अपने आप में विवादग्रस्त मामलों का निर्धारण करती है. पीठ ने कहा, “अदालत की ओर से नियुक्त ‘कोर्ट कमिश्नर’ की प्रकृति और दायरे को ध्यान में रखते हुए हम उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से भिन्न होने में असमर्थ हैं…”
शीर्ष अदालत की पीठ ने बगैर तोड़फोड सर्वेक्षण करने का आदेश दिया. आदेश में कहा गया है कि एएसआई की रिपोर्ट निचली अदालत को भेजी जाएगी और उस पर फैसला जिला न्यायाधीश द्वारा लिया जाएगा. सुनवाई के दौरान, मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने न्यायालय से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालना है और यह ‘अतीत के घावों को फिर से हरा करेगा’.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र किया, जिसमें एएसआई ने भरोसा दिया था कि इमारत को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. सीजेआई ने कहा, ‘आखिर हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में दखल क्यों दे? ASI के भरोसे के बाद अदालत ने यह आदेश दिया था.’
सीजेआई ने कहा, ‘वो मुख्य सूट जिसमें सूट की वैधानिकता पर सवाल उठाए गए हैं, उस याचिका पर नोटिस जारी करते हैं.’ मस्जिद कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि सूट सुनवाई योग्य है.