
उत्तरकाशी: उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे सभी 41 श्रमिकों को बाहर निकाला जा चुका है. अधिकारियों ने बताया कि श्रमिकों को एक-एक करके 800 मिमी के उस पाइप के जरिए बाहर निकाला जा रहा है जिसे मलबे में ड्रिल करके डाला गया था. सभी श्रमिक सुरक्षित हैं.
मजदूरों को निकाले जाने के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी मौजूद रहे . बाहर निकल रहे श्रमिकों को मुख्यमंत्री ने अपने गले लगाया तथा उनसे बातचीत की. बचाव कार्य में जुटे लोगों के साहस की भी उन्होंने जमकर सराहना की.
श्रमिकों के बचाव में ‘रैट होल’ खनिकों की प्रतिभा और अनुभव का किया गया इस्तेमाल
‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक अवैध हो सकती है, लेकिन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए जारी बचाव अभियान में ‘रैट-होल’ खनिकों की प्रतिभा और अनुभव का इस्तेमाल किया गया. यह बात राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक सदस्य ने मंगलवार को कही.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि ‘रैट-होल’ खनिकों ने 24 घंटे से भी कम समय में 10 मीटर की खुदाई करके अभूतपूर्व काम किया है. उन्होंने यहां एक प्रेसवार्ता में कहा, ”रैट-होल खनन अवैध हो सकता है, लेकिन ‘रैट होल’ खनिकों की प्रतिभा, अनुभव और क्षमता का उपयोग किया गया है.” राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 2014 में मेघालय में ‘रैट-होल’ खनन तकनीक का उपयोग करके कोयला खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
‘रैट-होल’ खनन में श्रमिकों के प्रवेश तथा कोयला निकालने के लिए आमतौर पर 3-4 फुट ऊंची संकीर्ण सुरंगों की खुदाई की जाती है. क्षैतिज सुरंगों को अक्सर “चूहे का बिल” कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक सुरंग लगभग एक व्यक्ति के लिए उपयुक्त होती है. उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में, मुख्य संरचना के ढह गए हिस्से में क्षैतिज रूप से ‘रैट-होल’ खनन तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग र्सिवसेज प्राइवेट लिमिटेड और नवयुग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कम से कम 12 विशेषज्ञों को बुलाया गया. वे दिल्ली, झांसी और देश के अन्य हिस्सों से आए हैं.
बचाव अभियान के कारण उत्तरकाशी के होमस्टे और होटल व्यस्त
सिलक्यारा सुरंग स्थल के पास के होमस्टे और होटल पिछले कुछ दिनों से व्यस्त हैं, लेकिन इस बार यहां थोड़ा अलग तरह के आगंतुक ठहरे हैं. इसके पहले इन होमस्टे और होटल में अप्रैल से सितंबर के बीच अक्सर चारधाम यात्रा में शामिल लोग ठहरते रहे हैं.
सुरंग ढहने से उसमें फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए बचाव अभियान शुरू होने के बाद से कई एजेंसियों के अधिकारी इन होटलों में डेरा डाले हुए हैं.
बचावकर्मी मंगलवार को सुरंग में 60 मीटर की लंबाई में फैले मलबे को तोड़ने के करीब पहुंचते दिखे. उत्तरकाशी में इनमें से अधिकांश होटल और होमस्टे गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-94 पर स्थित हैं. राज्य और सरकार के अधिकांश शीर्ष अधिकारी पिछले कुछ दिनों से ‘अनंतम रेजीडेंसी’ में ठहरे हुए हैं, जो ब्रम्हखाल गांव का एक ऐसा होटल है जो सिलक्यारा सुरंग स्थल से लगभग 12 किलोमीटर दूर है. राष्ट्रीय राजमार्ग के इस 12 किमी लंबे हिस्से पर उत्तरकाशी जिले के कम से कम 10 गांवों के होटल और होमस्टे का उपयोग कई एजेंसी की बचाव टीम के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है.