
रायपुर: पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के घर छापेमारी की वजह का सीबीआई ने खुलासा कर दिया है. एजेंसी ने बताया कि नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने पर अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के साथ पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है, जिसके बाद अनिल टुटेजा के साथ आलोक शुक्ला के भी घरों पर छापेमारी की गई, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद हुए हैं.आरोप है कि लोक सेवकों ( अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ) ने अपने पद का दुरुपयोग कर आर्थिक अपराध शाखा/एसीबी, रायपुर में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर संख्या 9/2015 तथा एनएएन मामले के आधार पर दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चल रही कार्रवाई को प्रभावित किया. आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों के अनुसार, आरोपी लोक सेवकों ने एनएएन मामलों में कार्रवाई को विफल करने के कई प्रयास किए.
इसके अलावा आरोपी लोक सेवकों ने कथित तौर पर आरोपी तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित करने तथा ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी, छत्तीसगढ़ द्वारा जांच के तहत उपरोक्त मामलों में खुद के लिए अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए अनुचित लाभ प्रदान किए.
यही नहीं आरोप है कि अग्रिम जमानत लेने के लिए आरोपी लोक सेवकों ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रक्रियात्मक एवं विभागीय कार्य से संबंधित दस्तावेजों तथा नान प्रकरण में उच्च न्यायालय में दाखिल किए जाने वाले जवाब में फेरबदल करवा लिया. मामले की जांच जारी है.
जानिए क्या है नान घोटाला
छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के जरिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन होता है. ACB ने 12 फरवरी 2015 को नान के मुख्यालय सहित अधिकारियों-कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था. छापे में करोड़ों रुपए कैश, कथित भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, डायरी, कम्प्यूटर हार्ड डिस्क समेत कई दस्तावेज मिले.
आरोप था कि राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपए की रिश्वत ली गई. चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार किया गया.
शुरुआत में शिव शंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला. बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का भी नाम आरोपियों की सूची में शामिल किया गया. इस मामले में दो IAS अफसर अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला भी आरोपी थे. मामला अदालत में चल रहा है.
वॉट्सऐप चैट से हुआ खुलासा
सीबीआई के पहले ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में बताया है कि रिटायर्ड IAS डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया, जिससे वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए सरकारी कामकाज में गड़बड़ी कर सकें.
इस तरह से सभी मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य था नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले (अप.क. 09/2015) में अपने पक्ष में जवाब तैयार करना, ताकि हाईकोर्ट में वे अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके.
नौकरशाही पर थी इनकी लगाम
ईओडब्ल्यू के एफआईआर में बताया कि अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला सरकार के सबसे शक्तिशाली अधिकारी थे. इनके हाथों में नौकरशाही की लगाम थी. सरकार के सभी महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग और ट्रांसफर में इनका सीधा हस्तक्षेप था.