रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कांग्रेस आलाकमान द्वारा राज्यसभा उम्मीदवार थोपने के कारण हरियाणा में पड़ी फूट तथा क्रास वोटिंग के डर से विधायकों को छत्तीसगढ़ लाये जाने की खबर का हवाला देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में कांग्रेस के मालिकों के सामने छत्तीसगढ़ का मान सम्मान स्वाभिमान गिरवी रख आये। अब इनका काम इनके मालिकान की जी हजूरी करना ही रह गया है। भूपेश बघेल इंतजाम अली बनकर रह गए हैं.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री कांग्रेस के दिल्ली दरबार को कुर्सी की कीमत चुका रहे हैं। छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का एटीएम बनाया तो बनाया, साथ ही राज्य को कांग्रेस का राजनीतिक पर्यटन केंद्र भी बना दिया। पांच राज्यों के चुनाव के समय खूब हल्ला सुनाई दे रहा था कि गोवा और पंजाब के विधायक यहां लाये जाएंगे लेकिन इसकी नौबत ही नहीं आई। यह भी खबर थी कि उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनाने का ठेका इन्हीं हुनरमंद प्रबंधक को सौंपा गया था। जनाब उत्तराखंड में सरकार बनाने का इंतजाम करने निकल भी गए थे। मगर जनता ने सारे अरमानों पर पानी फेर दिया.(Bhupesh-Vishnudev remained)
यही चुनाव प्रबंधक उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के ओएसडी की भूमिका निभा रहे थे। छत्तीसगढ़ की जनता का धन कांग्रेस का समझकर उत्तर प्रदेश में लुटा रहे थे। नतीजा सामने आया 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में 02 सीट! लगता है कि एक भाई ने जितवा दी और एक बहिन ने। छत्तीसगढ़ का पैसा बहाने वाले काम सिर्फ मैनेजर का था। नेतृत्व को बखूबी मैनेज कर लेते हैं.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि हर मामले में छत्तीसगढ़ की दुर्गति कर देने के बावजूद कांग्रेस के आला दरबार में भूपेश बघेल के खिलाफ कोई सुनवाई नहीं होती, टीएस सिंहदेव ढाई ढाई साल के मामले में साढ़े तीन साल बाद भी न्याय को तरस रहे हैं तो इसकी वजह है भूपेश बघेल का सोनिया जी जो कहेंगी, वो करूंगा, राहुल जी जो कहेंगे, वो करूंगा, प्रियंका जी जो कहेंगी, वही करूंगा के मूलमंत्र पर चलना। कांग्रेस के तीनों मालिकों की सेवा में लगे भूपेश बघेल को सिर्फ अपनी कुर्सी की सलामती चाहिए। छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की कोरी बात करना तो इनका राजनीतिक ढकोसला है। राज्य का स्वाभिमान गिरबी रखकर हरियाणा के कांग्रेसी विधायकों की आवभगत छत्तीसगढ़ कांग्रेस को मुबारक हो.(Bhupesh-Vishnudev remained)