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Aditya L1: चंद्रयान 3 के बाद अब सूर्य की ओर बढ़े इसरो के कदम, कुछ दिनों बाद लॉन्च होने जा रहा मिशन आदित्य

ISRO Aditya L1 Mission Launch

ISRO Aditya L1 Mission Launch Date: चांद पर कदम बढ़ाने के बाद इसरो अब सूरज की ओर बढ़ चला है। आने वाले अगस्त महीने के अंत या सितंबर के शुरुआती दिनों में इसरो सूरज का
अध्ययन करने वाले आदित्य L1 मिशन को लॉन्च कर सकता है।

ISRO Aditya L1 Mission Launch Date: 14 जुलाई, 2023 को इसरो ने आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 मिशन को लॉन्च कर दिया है। मिशन के अंतर्गत 23 या 24 अगस्त को चंद्रयान 3 का लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चांद पर कदम बढ़ाने के बाद इसरो अब सूरज की ओर बढ़ चला है। आने वाले अगस्त महीने के अंत या सितंबर के शुरुआती दिनों में इसरो सूरज का अध्ययन करने वाले आदित्य L1 मिशन को लॉन्च कर सकता है।


ISRO Aditya L1 Mission Launch

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सूर्य को आदित्य के नाम से भी जाना जाता है। इसी वजह से इस मिशन को आदित्य L1 नाम दिया गया है। सूर्य को आदित्य नाम उनकी माता अदिति से मिला। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ऋषि कश्यप और अदिति के पूत्र थे।

इसरो का आदित्य L1 मिशन लॉन्च होने के बाद सूर्य में छुपी कई नई संभावनाओं की तलाश करने वाला है। सूर्य 4.5 बिलियन साल पुराना तारा है। हमारे सौरमंडल के केंद्र में स्थित सूर्य ही इस सौर परिवार का मुखिया है। इसी के गुरुत्वाकर्षण ने सभी ग्रहों को एक परिक्रमा पथ पर बांध रखा है। सूर्य से मिलने वाला प्रकाश धरती पर जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सभ्यता की शुरुआत के साथ ही सूर्य को लेकर हमारे मन में जिज्ञासा सदा से रही है। आसमान में धधकते इस गोले को देखकर अक्सर हमारे मन में सवाल आता है कि आखिर इसके भीतर इतनी अपार ऊर्जा कहां से आती

आपको इस बारे में जानकार आश्चर्य होगा कि सूर्य खुद ही अपनी ऊर्जा का स्त्रोत है। सूर्य के भीतर नाभकिय संलयन की प्रक्रिया चलती है। यह स्थिति सूर्य के भीतर होने वाले अत्याधिक गुरुत्व प्रभाव में जन्म लेती है।

सूर्य के भीतर छिपे रहस्यों को सुलझाने के लिए नासा द्वारा कई अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए गए। इनमें सोहो (SOHO) और पार्कर सोलर प्रोब प्रमुख हैं। नासा के इन मिशनों ने सूर्य से जुड़े कई नए तथ्यों को हमारे सामने लाने का काम किया। इसके बावजूद अभी सूर्य में छुपी कई नई संभावनाओं को तलाशा जाना बाकी है। इसी सिलसिले में इसरो अपने आदित्य L1 मिशन के अंतर्गत सूर्य पर कामयाबी पाने के लिए तैयार है। इसरो इस मिशन के अतंर्गत सौर कोरोना का निरिक्षण करेगा।

सूर्य हर 11 सालों में अपनी मैग्नेटिक फील्ड को बदलता है। इसी को सोलर साइकिल कहा जाता है। सोलर साइकिल की इस अवधि में सूर्य पर जब बड़े-बड़े डार्क स्पॉट का निर्माण होता है। उस पीरियड को सोलर मैक्सीमम के नाम से जाना जाता है।

सोलर मैक्सीमम की अवधि में डार्क स्पॉट बनने के कारण सूर्य से बड़ी मात्रा में सोलर फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्शन और ऊर्जा का रिसाव अंतरिक्ष में होता है। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने इस बारे में जानकारी दी है कि आदित्य मिशन के अंतर्गत सूर्य से होने वाले इसी कोरोनल इजेक्शन के बारे में विस्तृत अध्य्यन किया जाएगा। ऐसे में सूर्य पर होने वाली गतिविधियों के बारे में पहले से पता लगाने में सहायता मिलेगी।

आदित्य L1 मिशन को एलएमवी एम-3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के अंतर्गत आदित्य एल 1 को 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज पॉइंट 1 L1 के समीप होलो ऑर्बिट में भेजा जाएगा। आदित्य L1 में कई तरह के शानदार उपकरणों को लगाया गया है। इसमें वीईएलसी, सूट, एएसपीईएक्स, पापा, सोलेक्स, हेल10एस और मैग्नेटोमीटर शामिल हैं।

इन उपकरणों का काम सूर्य से पृथ्वी की तरफ आने वाले ऊर्जित कणों का विश्लेषण करना होगा। इस विश्लेषण के माध्यम से इसरो का आदित्य मिशन यह पता लगाएगा कि यह कण कैसे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में फंस जाते हैं। मिशन अदित्य L1 हर समय सूर्य की इमेजिंग करेगा। इसके अलावा वह सूर्य के प्रकाश मंडल, क्रोमोस्फीयर का भी अध्ययन करेगा।

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