
रायपुर: राजधानी रायपुर के दिल में बसी 150 साल पुरानी केंद्रीय जेल, जो कभी आजादी की लड़ाई के दिनों में सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान की गवाह रही, अब अपनी पहचान खोने के कगार पर है. सरकार इस बेशकीमती जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और व्यावसायिक हब खड़ा करने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है.
सूत्र बताते हैं कि जेल की लगभग 40-45 एकड़ जमीन की मौजूदा कीमत अरबों रुपए में है. अगर इसे रिडेवलपमेंट के तहत बेचा गया, तो राज्य सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है. इसी पैसे से गोढ़ी (आरंग) में नई विशेष जेल बनाने का रास्ता भी निकलेगा. चौंकाने वाली बात यह है कि गोढ़ी में 4000 कैदियों की क्षमता वाली प्रस्तावित विशेष जेल का निर्माण प्रोजेक्ट पहले ही 436 करोड़ रुपए की लागत पर तैयार हुआ था, मगर वित्त विभाग ने उसकी स्वीकृति नामंजूर कर दी. इससे परियोजना अधर में लटक गई है और अब सरकार रिडेवलपमेंट मॉडल से ही समाधान तलाश रही है.
वित्त विभाग ने उठाए सवाल
वित्त विभाग ने जेल विभाग से पूछा है कि यदि गोढ़ी में नई जेल बन भी जाती है, तो क्या रायपुर की मौजूदा केंद्रीय जेल पूरी तरह खाली होगी? इस पर शासन में अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है.
पुरानी जमीन पर हर सरकार की नजर
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से अब तक हर सरकार की नजर केंद्रीय जेल रायपुर की जमीन पर रही है. सबसे पहले जोगी सरकार ने जेल को हटाने की योजना बनाई थी. इसके बाद भाजपा सरकार ने भी इस पर विचार किया, लेकिन यह योजना कभी मूर्तरूप नहीं ले सकी. अब मौजूदा सरकार भी इस दिशा में आगे बढ़ रही है. हालांकि, रायपुर केंद्रीय जेल के ऐतिहासिक महत्व और सुरक्षा कारणों से विरोध की आशंका बनी हुई है.
रायपुर की जेल में क्षमता से दोगुना कैदी
प्रदेश की जेलों की कुल क्षमता 12,281 बंदियों की है, जबकि मौजूदा कैदी संख्या 20 हजार से ऊपर – है. रायपुर केंद्रीय जेल सहित पांच केंद्रीय जेलों में तो हालात और भी गंभीर हैं. इनकी कुल क्षमता 7005 कैदियों की है, लेकिन यहां दोगुने से ज्यादा बंदी ठूंसे गए हैं. रायपुर जेल में हार्डकोर नक्सली और कई बड़े अपराधों के सजायाफ्ता कैदी भी हैं. राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कुछ महीनों पहले विधानसभा में राज्य की अन्य जेलों के साथ रायपुर जेल की हालत भी बताई थी. उन्होंने बताया था कि 1586 कैदियों की क्षमता वाली रायपुर सेंट्रल जेल में उस समय 3076 कैदी रखे गए थे. यानि क्षमता से लगभग दोगुना .
रायपुर की जमीन पर सरकार की नजर
शहर के पॉश इलाके में स्थित केंद्रीय जेल के आसपास पिछले कुछ सालों में व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. जेल के पीछे पंडरी स्थित पुराने बस स्टैंड की जमीन पर भी रिडेवलपमेंट योजना का विचार चल रहा है. ऐसे में जेल की 40-45 एकड़ जमीन को बाजार में उतारने से राज्य सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है. यही वजह है कि शासन स्तर पर गुपचुप मंथन जारी है.
गोढ़ी में 85 एकड़ जमीन आरक्षित
13 मार्च 2020 को गोढ़ी (आरंग) में 85 एकड़ जमीन विशेष जेल के लिए आवंटित की गई थी. 2023-24 के बजट में 436 करोड़ रुपए का प्राक्कलन भी शामिल था. ड्राइंग डिजाइन तक तैयार हो गई थी, लेकिन केंद्र सरकार की एजेंसी एनडीसीसी के जरिए निर्माण कराने का विवाद सामने आया. जेल मैन्युअल के मुताबिक, निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग से ही होना चाहिए, क्योंकि भविष्य में मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी उसी की है. यही वजह है कि प्रोजेक्ट अभी तक रुका हुआ है.