नवापारा – छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली नगर मे धूमधाम से मनाया गया घर में रखी हुई कृषि संबंधित औजार रापा , कुदारी , हसिया , नगार , इत्यादि का विधिवत पूजा अर्चना किया गया ये हरेली के त्यौहार सावन महीने के अमावस तिथि को मनाया जाता है इस दिन छत्तीसगढ़ी व्यंजन चीला गेहूं आटा के गुड़ को मिलाकर बनाया जाता है और उसे भोग एवं प्रसाद के रूप मे इस्तेमाल किया जाता है बच्चे आज के दिन बांस से बने गेडीं चढ कर आनन्द लेते है ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न परंपरागत खेलों का आयोजन भी किया जाता है जिससे बच्चों को छत्तीसगढ़ी परंपरा से अवगत होते है इस परंपरागत खेल में सबसे ज्यादा फुगड़ी का खेल लोकप्रिय है जो अधिकांशतः लड़कियों के लिए होता है
चेतन चौहान ने बताया कि छत्तीसगढ़ी खेलों को खेलने से किसी प्रकार की समस्याएं नहीं आती बल्कि शरीर स्वस्थ रहता है हमें चाहिए कि शहारो मे लुप्त हो रही छत्तीसगढ़ी परंपरा खेल फुगड़ी और अन्य खेलों को शहरों में स्थानीय स्तर पर या त्योहारों के अवसर पर आयोजन किया जाए जिससे हमारे शहरों में रह रहे बच्चे जो आज मोबाइल में डूब गए हैं वे कम से कम छत्तीसगढ़ी के परंपरागत खेलों से अवगत हो ताकि मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी हो सकें साथ लोग अपने घर में घर के प्रवेश द्वार पर नीम के डारा लगाते हैं साथ ही भित्ती पर गोबर से मानव की आकृति उकेरते हैं।