सहकारी समिति को मिला BJP का समर्थन राज्य सरकार पांच सूत्रीय मांग को पूरा नही किया तो BJP करेगी प्रदेश में एक बढ़ा आंदोलन……
रायपुर :- छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के द्वारा 24 जुलाई से अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के लगभग 12000 कर्मचारी 5 दिनों से हड़ताल पर चले गए है कर्मचारियों की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकान्त द्विवेदी के द्वारा एकात्म परिषर में प्रेस वार्ता किया गया आपको बता दे कि सहकारी समिति के कर्मचारियो का 5 प्रमुख मांग राज्य सरकार से रखी है अगर इस मांग को राज्य सरकार द्वारा पूर्ण नहीं करते तो भारतीय जनता पार्टी के द्वारा प्रदेश स्तरीय आंदोलन करने की बात कही है
आपको बता दे कि आज जहां प्रदेश में किसानों के खेतों में रोपाई और बियासी का काम जोरों पर चल रहा है वही सोसाइटी में खाद की कमी के चलते किसान जूझ रहे हैं। वैसे भी सहकारी समितियों को खाद की आपूर्ति शासन द्वारा गत वर्ष की तुलना में कम की गई है। वहीं निजी विक्रेताओं और बिचौलियों को लाभ पहुंचाने गत वर्ष की तुलना में ज्यादा खाद दिया जा रहा है जिससे किसानों को मजबूरन बाजार से ऊंचे दाम में खाद खरीदना पड़ रहा है। अब चूंकि कर्मचारी गण अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं तो सोसायटियों में पूर्ण तालाबंदी के चलते किसानों की निजी विक्रेताओं पर ही निर्भर होना पड़ रहा है। साथ ही किसानों को खेती किसानी के ऐन वक्त पर सोसाइटी से ऋण लेने की आवश्यकता पड़ती है, वह भी नहीं मिल पा रहा है एवं सबसे महत्वपूर्ण विषय 31 जुलाई तक किसानों को बीमा कराने की अंतिम तारीख है, लेकिन 24 जुलाई से कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण बीमा कार्य भी प्रभावित हो गया है। लेकिन सरकार चर्चा करने के विषय पर मौन है और हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ कर्मचारियों की जायज मांगों का समर्थन करती है और शासन प्रशासन को आगाह करती है कि तत्काल कर्मचारियों की मांगों को मानते हुए। हड़ताल वापसी की दिशा में पहल करें ।
सहकारी समिति कर्मचारियों का है पांच मांग
पहला मांग कि धान खरीदी 31 जनवरी को समाप्त हो गई थी उसके बाद भी शासन की गलत नीति के चलते प्रदेश के 2311 उपार्जन केंद्रों में धान कई महीनों तक परिवहन के अभाव में पड़ा रह गया, जिससे प्राकृतिक रूप से सखल आने के कारण भारी शार्टज आने की संभावना से इकार नहीं किया। जा सकता है। अत: शासन दवारा शोटेज का भी प्रावधान किए जाने की मांग कर्मचारी की है। इसका हम समर्थन करते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा शाज की राशि सोसाइटीयो के कमीशन से काट ली जाती है साथ ही शार्टज होने के कारण सोसायटयों को प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिलती है। इस प्रकार सहकारी समितियों को दोहरा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। अत: सोसायटियों को प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया जाना चाहिए। धान खरीदी नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि बफर लिमिट से ज्यादा धान खरीदने पर उसका परिवहन उपार्जन केंद्र से 72 घंटे में किए जाने का प्रावधान है किंतु शासन द्वारा नहीं किया जाता है। साथ ही उपार्जन केन्द्रों में महीना तक धान की सुरक्षा में जाने वाले खर्चे की भरपाई भी सोसायटियों को की जानी चाहिए।
दूसरा मांग प्रदेश की सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को सातवें वेतनमान हेतु वेतन अनुदान दिए जाए।
तीसर मांग सहकारी कर्मचारी सेवा नियम 2018 को संशोधित कर समिति के कर्मचारियों को बैंक के रिक्त पदों में भर्ती किए जाने से संबंधित है। साथ ही प्रदेश के जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में प्लेसमेंट भर्ती पर रोक लगाई जाए।
चौथा मांग यह की सेवा नियम में संशोधन किए जाने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी सहकारिता मंत्री जी एवं स्वास्थ्य गर्न जी में भी संघ की मांगों की अनुशंसा की है लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं किया जा सका।
पांचवा मांग आगामी वर्ष में धान खरीदी नीति हेतु बनाई जाने वाली कमेटी में कर्मचारी संघ भी शामिल कर धान खरीदी नीति में आवश्यक संशोधन किए जाने की बात कही गई है।