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छत्तीसगढ़ी भाखा को जन जन के अंतस में पिरोने के लिए करने होगें बेहतर प्रयास, बैठक में लगेगी कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर – छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग

रायपुर । शनिवार को छत्तीसगढ़ राज्य भाषा आयोग ने महंत सर्वेश्वर दास सभाकक्षा में जिला समन्वयकों कि एक बैठका आयोजित की । आयोजन माई पहुना के रुप में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और पगरइत कि भूमिका में संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद मौजूद रहे। कार्यक्रम में संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद वर्चुअल रुप से जुड़े। आयोजन में छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग के संचालक विवेक आचार्य छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी और छत्तीसगढ़ साहित्य जगत के वरिष्ठ साहित्यकार जागेश्वर प्रसाद,देवधर महंत,डॉ सुखदेव साहू सत्यभामा आडिल,रामेश्वर शर्मा,जे आर सोनी और डुमन लाल ध्रुव अतिथि के रुप में सम्मिलित हुए।


छत्तीसगढ़ी भाखा के मीठास हमर अंतस तक जाथे – संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद


कार्यक्रम में पगरइत कि भूमिका निभाने वाले संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने कहा छत्तीसगढ़ी भाखा का मानकीकरण जरूरी हैं। इसके लिए हमें बेहतर प्रयास करना होगा। हमें अपने घर से अपनी बोली का प्रचार प्रसार करना होगा। हमें अपनी बोली भाखा को अपने दैनिक आचरण मे लाना होगा तभी बड़े से लेकर बच्चे तक इसका प्रचार प्रसार होगा। यह हमारे प्रदेश कि दुविधा है कि यहां के बच्चे फर्राटेदार हिंदी अंग्रेजी बोलते है लेकिन जहां बात छत्तीसगढ़ी की आती हैं,तो वे अपना मुंह मोड़ लेते हैं। संसदीय सचिव ने एक छत्तीसगढ़ी कविता के माध्यम से छत्तीसगढ़ महातारी कि महत्ता बताई।


भाषा की रक्षा सीमा की रक्षा से ज्यादा जरुरी – देवधर महंत

वहीं कार्यक्रम में अतिथि के रुप में पहुंचे वरिष्ठ साहित्यकार देवधर महंत ने कहा आज राज भाषा आयोग को बने 14 साल हो चुके हैं। लेकिन अब तक जैसा हमने सोचा था वैसा कार्य अभी नही हो पाया हैं। छत्तीसगढ़ी अब तक राज काज की भाषा नही बन पाई हैं। मै उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं कि कब मंत्रालय से यह आदेश आए कि हर सरकारी काम काज छत्तीसगढ़ी भाषा मे हो। पत्र लेखन से लेकर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं मे हर प्रकार के कार्य हमारी दूध कि भाषा छत्तीसगढी मे हो। क्यों कि थॉमस डेविस ने कहा है भाषा की रक्षा सीमा की रक्षा से ज्यादा जरुरी हैं। मेरे हिसाब से छत्तीसगढ की धरा में जन्म लेके जो ढंग से छत्तीसगढी नही बोलता वह छत्तीसगढ़िया नही हैं। हमारी भाषा जब का पूर्ण रुप से मानकीकरण होगा तभी छत्तीसगढी भाखा संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल हो पाएगा।


छत्तीसगढ़ी भाखा का सही मानकीकरण बेहद जरुरी – अनिल भतपहरी


छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव अनिल भतपहरी ने कहा हम प्रमुख रुप से चार बिंदुओं को लेकर काम कर रहे हैं। जिनमे से पहला राज काज में छत्तीसगढ़ी भाखा का प्रयोग दूसरा पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ कविता,कहानी,लेख का पूर्ण रुप से समावेश और तीसरा आठवी अनुसूची में छ्त्तीसगढ़ी भाखा को सम्मिलित करना। इन बिंदुओं को लेकर आयोग प्रदेश के सभी साहित्यकार जिला समन्वयक अधिकारी और प्रमुख पदाधिकारी से बातचीत और परिचर्चा करेगा। फिर भाषा का सही तरीके से मानकीकरण कर आठवी अनुसूची में जोड़ने के लिए प्रयास करेगा।

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