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छत्तीसगढ़ से आंध्र में घुसने ही वाला था हिड़मा, सुरक्षा बलों ने ढेर किया; खुफिया अधिकारी का बड़ा खुलासा…

बस्तर: 43 साल शीर्ष माओवादी कमांडर माड़वी हिडमा और उसकी पत्नी राजे को मार गिराया गया है। तेलंगाना-छत्तीसगढ़ के बॉर्डर में हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में कुल 6 नक्सलियों की मौत हुई है। इन्ही में एक हिड़मा और दूसरी उसकी पत्नी राजे भी शामिल है। दुर्दांत नक्सली हिड़मा सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के खिलाफ कम से कम 26 घातक हमलों के लिए ज़िम्मेदार था। वह 2017 के सुकमा हमले भी शामिल है और जिस हमले में 26 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। इतना ही नहीं बल्कि वह 2010 के दंतेवाड़ा हमले में भी शामिल था। इस हमले में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। सूत्रों ने बताया कि हिडमा के साथ उसकी पत्नी राजे और माओवादी संगठन के दूसरे मेंबर चेल्लूरी नारायण और टेक शंकर भी शामिल भी मारे गए है।

इस पूरे सफल एनकाउंटर के बाद आंध्र प्रदेश खुफिया प्रमुख महेश चंद्रा ने मीडिया से बातचीत की है। उन्होंने बताया कि, “पिछले 1-2 दिनों में, हमें एक विशेष खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ माओवादी नेता आंध्र प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं और अपने आंदोलन को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं। आज सुबह, माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच एक मुठभेड़ हुई, जिसमें छह माओवादियों के शव बरामद किए गए हैं। अब तक की पहचान के अनुसार, माडवी हिडमा, जो केंद्रीय समिति का सदस्य, प्रथम बटालियन कमांडेंट और सबसे वांछित और खूंखार माओवादियों में से एक है, का शव बरामद कर लिया गया है। उसकी पत्नी राजे का शव भी बरामद कर लिया गया है, साथ ही उसके चार बंदूकधारियों के शव भी बरामद कर लिए गए हैं। हमने कुछ हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए हैं, जिनमें दो एके-47, एक पिस्तौल, एक रिवॉल्वर और एक सिंगल बोर हथियार शामिल हैं।”

माओवादी कमांडर माड़वी हिडमा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुरवती में हुआ था। वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 के प्रमुख थे, जिसे माओवादियों की सबसे घातक स्ट्राइक यूनिट माना जाता है। हिडमा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सबसे कम उम्र के सदस्य थे और बस्तर क्षेत्र के एकमात्र आदिवासी थे जिन्हें यह पद मिला था। उनके सिर पर ₹50 लाख का इनाम रखा गया है। हिडमा कम से कम 26 घातक हमलों के लिए ज़िम्मेदार है, जिनमें 2017 का सुकमा हमला और 2013 का झीरम घाटी नरसंहार शामिल है, जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रमुख कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग मारे गए थे। वह 2010 के दंतेवाड़ा हमले में भी शामिल था , जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, और 2021 के सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ में भी शामिल था, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।

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