रायपुर: रायपुर रेलवे स्टेशन में पिछले दो दिनों से पार्किंग ठेकेदार, रेलवे और ऑटो यूनियन के बीच विवाद चल रहा है. विवाद पार्किंग के नाम पर शुल्क लेने का है. रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि ऑटो यूनियन को मुफ्त में पार्किंग के लिए एक तय जगह दी गई थी. लेकिन उस तय जगह से ज्यादा में ऑटो यूनियन के सदस्य अपनी ऑटो खड़ी कर रहे है. अब रेलवे ने रेलवे स्टेशन में आने वाली ऑटो से शुल्क वसूलना शुरू किया, जिसके बाद ये पूरा विवाद शुरू हुआ.
इस बीच चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं. जानकारी ये है कि रायपुर रेलवे स्टेशन के ऑटो यूनियन में करीब 350 ऑटो है. हर ऑटो चालक से प्रतिदिन 30 रुपए सेवा शुल्क लिया जाता है. यानी एक ऑटो चालक से हर महीने करीब 900 रूपए का शुल्क यूनियन ले रहा है. यानी 350 ऑटो से हर महीने 3 लाख रूपए से अधिक.
ट्रैफिक बूथ जो बनाया गया है वहां लगी बिजली मुफ्त में रेलवे उपलब्ध कराता है. यही कारण है कि जब से रेलवे के अधिकारियों को ये पता चला है कि यूनियन ऑटो चालकों से सेवा शुल्क के नाम पर पैसे ले रहा है तो उन्होंने मुफ्त की बिजली के संबंध में अपने अधिकारियों से नियमों की जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए है.
वर्तमान ऑटो यूनियन संघ के अध्यक्ष राजेश स्वामी ने खुद लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि वे संघ के करीब 20 वर्षों से अध्यक्ष है. जब उनसे ये पूछा गया कि अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कब हुआ था ? तो उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं है कि चुनाव कब हुआ था. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि उक्त संघ पेट्रोल ऑटो यूनियन के नाम पर रजिस्टर्ड है.
अब सवाल ये है कि यदि 3 लाख रूपए से अधिक की आय यूनियन को हो रही है तो क्या इस संघ का ऑडिट हो रहा है ? ये जीएसटी और संघ रजिस्टर्ड करने वाली समिति के लिए जांच का विषय है कि क्या 350 ऑटो चालकों से लिए जा रहे शुल्क को नंबर-1 में दर्शाकर टेक्स भरा जा रहा है या इसमें लंबा खेल चल रहा है. दूसरा सवाल यदि रेलवे से ऑटो चालकों के नाम पर मुफ्त एंट्री और एग्जिट की मांग ऑटो यूनियन कर रहा है तो फिर दूसरी तरफ संघ खुद क्यों गरीब और जरूरतमंद ऑटो चालकों से हर दिन 30 रूपए का सेवा शुल्क वसूल रहा है !