सारंगढ़ बिलाईगढ़: साइबर ठगी में देश के सुर्खियों में रहने वाले जामताड़ा के बाद अब बिलासपुर संभाग में भी अपराधियों ने अपराध का तरीका सीख लिया है। साइबर ठग नंदू महंत उर्फ शिव नंदन महंत खरसिया क्षेत्र के ठाकुरदिया गांव का निवासी है, जिसका मोबाइल नंबर 8224868583, 7898262500 है। जिसमें पैसे की डिमांड करता है वो मोबाइल नंबर 7803830450 और 9770341259 है। इन अपराधियों के खिलाफ थाना में एफआईआर और साइबर शिकायत किया गया है। इस ठग ने राठौर उर्फ प्रह्लाद सिंह महलवार और कन्हैया उर्फ कमल कुमार शर्मा के खाता में पैसा भुगतान कराया। ठग ने इन दोनो के अलावा रामसिंग यादव, शरद शर्मा और विकास बेलचंदन के नाम का यूपीआई स्कैन भी भेजा था। इनके अलावा इनका साथी अपराधी संतोष सिंधी भी है। ठग से पैसा वापस कैसा लिया जाए, इसके लिए अधिकारी के मोबाइल नंबर 9993769490 पर संपर्क कर थाना बैंक कोर्ट के संबंध में सलाह ले सकते हैं।
रोकथाम के लिए साइबर या थाना में करें शिकायत : किसी भी प्रकार का प्रलोभन साइबर ठगी की श्रेणी में आता है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके सभी दिन 24 घंटे चालू साइबर क्राइम पोर्टल के हेल्पलाइन नंबर 1930, 155260 या 9479281934 डायल कर में संपर्क करें। पोर्टल में शिकायत करना आम नागरिकों को मुश्किल है। इसलिए हेल्प लाइन के वाट्सअप नंबर 94792 81934 में जानकारी देना आसान है। इसमें ठग करने वाले का नाम, मोबाइल नंबर, जिस मोबाइल नंबर में पैसा का भुगतान किया, तारीख और समय भेजना होगा। ठगी करने वाला किसी मालिक के नाम, शेयर मार्केट, लॉटरी किसी में भी पैसा लगाने की बात करके झांसा देकर ठगी किया है तो उन व्यक्ति को सलाह दी जाती है कि ठग ने सिर्फ पैसा अपने नंबर में भुगतान कराया है। ठग ने उसका उपयोग सामग्री खरीदी में किया या नहीं। ये तो ठग ही जानता है। ऐसे लोग जिनको शेयर मार्केट, लॉटरी के नाम पर ठगी किया वो जरूर पुलिस को शिकायत दर्ज करें।
वाटसअप रिफंड मैसेज से धोखा: झांसे में आया व्यक्ति जब ठग से पैसा लौटने के लिए संपर्क करता है तो वो कहता है पैसे भेजने का तरीका आरटीजीएस और एनईएफटी है इसलिए बैंक खाता और आईएफएससी कोड भेजिए। फिर मोबाइल में बैंक के मैसेज से मिलता जुलता आरटीजीएस बैलेंस जैसा लिखा वॉट्सऐप में मैसेज कर कहता है पैसा दो घंटे में आएगा। आरटीजीएस और एनईएफटी मैसेज सही है या नही। इसकी जानकारी बैंक या बैंकिंग में पारंगत व्यक्ति से संपर्क कर सकते हैं। ठग को कोई गहराई से पूछता है तो बोलता है आकर मुलाकात करूंगा और दिन भर ये कहता है मालिक का बेटा साथ में था। वो वाटसअप वीडियो कॉल में जवाब देगा तो अंधेरे में रहकर ये कहता है कि बिजली नही है।
ठगने का तरीका – नंदू उर्फ शिव नंदन महंत ठग फोन करके छत्तीसगढ़ी, हिंदी में बात करता है। जिसको फोन करता है, उसके गांव कस्बा में सप्ताह में व्यापार के लेन देन की बात करता है। नागरिकों को वो जिस भी लाभ में फंसा सके वो जाल बिछाता है। जैसे किसी भी लॉटरी का चाहे वो किसी ऑफर तक सीमित हो। फिलहाल इनका सेफजोन टारगेट शेयर मार्केट या प्रचलित बाजार है, प्रचलित नामो को बताकर ये नागरिकों को फांसते हैं। शिव नंदन महंत और दूसरा साइबर ठग किसी भी नागरिक को फोन करके कहता है कि मैं लॉटरी शाखा में हूं। आप किसी भी सामान खरीदी जिसका रेट अलग अलग है, में खरीदी कीजिए आपको उस सामग्री का लॉटरी मैं ही देख रहा हूं। आपको दोगुना राशि मिलेगा और बाकी उसको बांट लेंगे। उसके बाद बेसब्री से मत सोचो, दस मिनट में आपको वापस लौटाता हूं कहकर दबाव बनाता है। जब झांसे में आया व्यक्ति उसको पैसा भेजता है तो फिर वो इससे ज्यादा से ज्यादा पैसा का दोगुना करने का आज अभी करो का प्रलोभन देता है। मतलब वो किसी भी व्यक्ति के बैंक में जमा राशि को लूटने की कोशिश करता है। फिर वो शुरू करता है नया खेल। नया खेल में ठग कहता है मालिक को और लोग हैं जिनका कमजोर दिल है उनको भी पैसा देना पड़ता है। इसलिए उन लोगो को इतना हजार और दो। इसके बाद और नया पैंतरा, चाल चलता है, ठग कहता है कि उसका मालिक जब ये लॉटरी के बारे में पूछेगा कि नया ग्राहक का लॉटरी कैसे लग गया, तब ठग झांसे में आए व्यक्ति को और सामान खरीदी का भुगतान करने कहता है।
ठगी पैसा की वापसी का तरीका-किसी भी व्यक्ति का साइबर ठगी हुआ है तो साइबर क्राइम नंबर में 1930, 155260 या 9479281934 डायल कर, या साइबर क्राइम रिपोर्ट पोर्टल में अपराध पंजीयन करना होगा। अपराध पंजीयन के बाद संबंधित थाने से ठग के अकाउंट और बैंक का जानकारी आपको प्राप्त हो जाएगा। बैंक की जानकारी होने पर उस बैंक के वेबसाइट में जाकर कंप्लेंट के शीर्षक में अपना साइबर क्राइम कंप्लेंन नंबर और व्यक्ति का नाम, मोबाइल नंबर, ठगी का दिनांक, ठगी का समय सारी जानकारी बैंक को ईमेल करिए। बैंक आपके ईमेल का सकारात्मक जवाब देगा और संबंधित ठग को नोटिस देगा और संतोषजनक जवाब नहीं देने पर ठगी होने का प्रूफ होने पर वह ठग से जितना फ्रॉड किया उसे संबंध में एक शपथ पत्र और उसके खाते में उतना पैसा जमा करने के लिए बाध्य करेगा इसलिए जरूरी है कि जो भी ठगी हुआ है, उसका प्रूफ के साथ में साइबर क्राइम में अपराध दर्ज की जाए और बैंक खाता का पता किया जाए और बैंक को सीधा-सीधा व्यक्तिगत ईमेल करें, पुलिस की जांच लंबी प्रक्रिया है लेकिन बैंक को ईमेल के लिए साइबर क्राइम का अपराध दर्ज करना जरूरी है।