नयी दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ने से उष्णकटिबंधीय समुद्री प्रजातियां भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ रही हैं। एक अध्ययन में यह कहा गया है।
‘ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से यह भी पता चलता है कि गर्मी की वजह से समशीतोष्ण प्रजातियां घट रही हैं, उन्हें निवास स्थान के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है और नए शिकारी परिदृश्य में आते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि समुद्री प्रजातियों की यह व्यापक आवाजाही जिसे उष्णकटिबंधीयकरण कहा जाता है, हमारे महासागरों के पारिस्थितिक परिदृश्य को बदल रहा है और पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और संभावित रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए परिणामों का एक बड़ा कारण बन रहा है।
अध्ययन का प्रकाशन ऐसे वक्त हुआ है, जब दुबई में सीओपी28 की शुरुआत हो रही है, जहां वैश्विक नीति निर्माता एकत्र होकर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए संकल्प लेंगे। शोधकर्ताओं ने कहा कि हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने उन भौतिक कारकों को बदल दिया है जो प्रजातियों के फैलाव को प्रभावित करते हैं, जैसे कि उष्णकटिबंधीय/उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों को अलग करने वाले क्षेत्रों में समुद्री धाराएं।
उन्होंने कहा कि ये गर्म पानी की धाराएं वैश्विक समुद्री जल औसत की तुलना में तेजी से गर्म हो रही हैं, जिससे प्रजातियों की ध्रुव की तरफ आवाजाही बढ़ रही है और समशीतोष्ण प्रजातियों की वापसी को बढ़ावा मिल रहा है। इस प्रक्रिया का पहला उदाहरण भूमध्य सागर में पहचाना गया था, जिसे अब उष्णकटिबंधीय प्रजातियों में वृद्धि के कारण ‘‘उष्णकटिबंधीय हॉटस्पॉट’’ माना जाता है।
ब्रिटेन के साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता और पेपर की मुख्य लेखक करोलिना जारजीजनी ने कहा, ‘‘उष्णकटिबंधीयकरण से प्रजातियों, समुदायों और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पारिस्थितिक और विकासवादी परिणामों की एक बड़ी संख्या हो रही है, जिसमें वैश्विक विविधता पैटर्न को बदलने की क्षमता है।’’
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन पिछले 20 वर्षों में प्रकाशित आलेख की एक व्यापक समीक्षा है और वैज्ञानिक समुदाय को समस्या की हमारी समझ में कमियों के बारे में बताने की दिशा में पहला कदम है।