कोरबा: ठंड के दस्तक देते ही प्रवासी पक्षी कनकी से अपने बच्चों के साथ मीलों का सफर पूरा कर स्वदेश लौटने लगे हैं. दशकों से ये प्रवासी पक्षी एशियन बिल ओपन स्टॉर्क कोरबा जिले के कनकेश्वर धाम को अपने प्रवास का सबसे प्रिय स्थान बना लिए है. वे यहां प्रजनन के लिए आते हैं. पक्षियों का आगमन मई महीने के अंतिम सप्ताह में होता है.
भगवान शिव की आराधना के लिए प्रख्यात कनकेश्वर धाम में पक्षियों का आगमन शिव की आराधना से जुड़ा हुआ है. ग्रामीण इन पक्षियों को आस्था से जोड़कर देखते हैं. बरसात की शुरूआत में इनका आगमन होने के करण इन्हें मानसून का सूचक भी माना जाता है. अब ठंड की शुरुआत होते ही पक्षी वापस लौटने लगे हैं. यह अपने घोसले इमली, बरगद पीपल, बबूल व बांस के पेड़ों पर बनाते हैं.
स्टार्क पक्षी 10 से 20 हजार की संख्या तक अपने घोंसले बनाते हैं. एक पेड़ पर 40 से 50 घोसले हो सकते हैं. प्रत्येक घोसले में चार से पांच अंडे होते हैं. सितंबर के अंत तक इनके चूजे बड़े होकर उड़ने में समर्थ हो जाते हैं.घोसलों का स्थान भी निश्चित होता है. जहां प्रत्येक वर्ष यह जोड़ा उन्ही टहनियों पर घोसला रखता है जहां पूर्व के वर्ष में था.
गांव कनकी के जलवायु में प्रवासी पक्षियों को प्रजनन काल के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है.जिसके कारण ही यहां पिछले कई दशकों से यह सिलसिला लगातार चलता आ रहा है. मुख्यतौर पर यह पक्षी दक्षिण पूर्व एशिया, श्रीलंका और दक्षिण भारत में भी पाए जाते हैं. पक्षी कीट भक्षी होने के कारण किसानों के सहयोगी हैं. धान की फसल को नुकसान करने वाले कीटों को चट कर जाते हैं.
मानसून का पैगाम लेकर मई महीने में कोरबा पहुंचे यह पक्षी अब अपने स्वदेश लौट रहे हैं ग्रामीणों को आने वाले वर्ष में फिर से इनका इंतजार रहेगा। फिर से एक बार यह पक्षी अच्छे मानसून का पैगाम लेकर कोरबा के कनकेश्वर धाम पहुंचेंगे यहां के ग्रामीणों को ऐसी उम्मीद है.