जबलपुर: मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों के हजारों कर्मचारियों ने आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लागू किए जाने के बावजूद बिजली क्षेत्र के निजीकरण को समाप्त करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार को अपना आंदोलन जारी रखा।
वहीं एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने दावा किया कि वैकल्पिक व्यवस्था कर दी गई है और राज्य में बिजली आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने दो दिन पहले एस्मा लगाया है। एस्मा का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन, स्वास्थ्य और बिजली जैसी कुछ आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना है और यह कानून इन प्रमुख सेवाओं में शामिल कर्मचारियों को हड़ताल करने से रोकता है। एस्मा की अवहेलना करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई हो सकती है।
आंदोलनकारी कर्मचारी मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन, पारेषण, वितरण और प्रबंधन में शामिल छह संगठनों से संबंधित हैं। यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉइज ऐंड एसोसिएशन के अध्यक्ष वी.के.एस. परिहार के मुताबिक, इन कंपनियों के करीब 30,000 इंजीनियर और अन्य कर्मचारी बृहस्पतिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
मध्य प्रदेश ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था कर ली गई है। उन्होंने दावा किया कि अब बिजली आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है और भविष्य में भी सभी को बिजली की सुचारू आपूर्ति के लिए कदम उठाए गए हैं।
अधिकारी ने कहा कि वे आंदोलनकारी कर्मचारियों के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई बिजली आपूर्ति बाधित करने की कोशिश करेगा तो हम कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे। परिहार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वे मध्य प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण खासकर अनूपपुर जिले में एक बिजली उत्पादन केंद्र के संयुक्त उद्यम (जेवी) के के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 45,000 आउटसोर्स कर्मचारी पहले से ही बिजली कंपनियों में विभिन्न कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अन्य चीजों के अलावा नियम-कायदों के मुताबिक पेंशन चाहते हैं। परिहार ने आरोप लगाया कि हड़ताल शुरू होने से पहले जो कर्मी बिजली उत्पादन केंद्रों में काम करने गए थे उन्हें वहीं रोक लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।