मुंगेर कमिश्नर ने भी 3 महीने पहले एकाउंटेंट पर कार्रवाई का निर्देश सिविल सर्जन को दिया था। लेकिन सेटिंग गेटिंग के दम पर एकाउंटेंट पर कार्रवाई नहीं हो पायी है।
जबकि करीब 6 महीने पहले ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजकर सदर पीएचसी खगड़िया के विवादित एकाउंटेंट चंद्रमोहन के कार्य को असंतोषजनक मानते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
लेकिन एकाउंटेंट की अपने पैरवी पहुंच व पैसा के दम पर शुरू में तो तीन सदस्यीय जांच टीम को ही खरीद लिया।
तीन सदस्यीय टीम द्वारा मनमाना व फेवर में जांच रिपोर्ट देकर एकाउंटेंट को बचाने के खेल को सिविल सर्जन ने पकड़ लिया और जांच रिपोर्ट को असंतोषजनक मानते हुए लौटा दिया था।
फिर से जांच हुई तो दागी एकाउंटेंट की गर्दन फंस गयी है। बहरहाल, दो महीने से डीएम के यहां से फाइल नहीं लौटने की बात कहकर मामले की लीपापोती में जिला स्वाथ्य समिति के कई बाबू जुटे हुए हैं।
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