
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मामले में सुनवाई 30 अक्टूबर तक के लिए बुधवार को टाल दी. वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) ने वाराणसी की अदालत में दायर उस मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी है जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर बहाल करने की मांग की गई है.
कमेटी ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसके तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मस्जिद परिसर का एक समग्र सर्वेक्षण करने को कहा गया है. बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया गया कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने एकल न्यायाधीश (प्रकाश पाडिया) से इस मामले को सुनवाई के लिए अपने पास लेने के मुख्य न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक विशेष याचिका दाखिल कर रखी है.
इस दलील पर मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर ने याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध पर सुनवाई टालने का आदेश पारित किया और अगली तिथि 30 अक्टूबर निर्धारित की. इससे पूर्व, 18 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि यदि याचिकाकर्ता को इस मामले की सुनवाई एकल न्यायाधीश से वापस लिए जाने को लेकर कोई शिकायत है तो वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि उच्च न्यायालय के नियमों के मुताबिक, जब एक मामले में फैसला नहीं सुनाया जाता है तो ह्लरोस्टर का मास्टरह्व होने के नाते मुख्य न्यायाधीश के पास उस मामले को किसी दूसरी पीठ के पास भेजने या खुद इस पर सुनवाई करने का अधिकार है. बाद में मुख्य न्यायाधीश ने एकल न्यायाधीश से इस मामले को वापस लेने के कई कारण भी दिए थे. अब, मुख्य न्यायाधीश के 18 सितंबर, 2023 के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है.