जयपुर: राजस्थान सरकार ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम की महापौर मुनेश गुर्जर को पद के दुरुपयोग के आरोप में एक बार फिर निलंबित कर दिया है। रिश्वतखोरी के एक मामले में कथित संलिप्तता को लेकर गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच चल रही है। इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने महापौर के पति सुशील गुर्जर तथा दो अन्य को पिछले महीने पकड़ा था।
स्वायत्त शासन विभाग ने गुर्जर के महापौर पद पर बने रहने से लंबित न्यायिक जांच के प्रभावित होने की आशंका का हवाला देते हुए शुक्रवार देर रात निलंबन का आदेश जारी किया। उन्हें मेयर पद और वार्ड 43 के पार्षद पद से निलंबित कर दिया गया है।
गुर्जर को इससे पहले, पांच अगस्त को निलंबित किया गया था, जिसके एक दिन पहले महापौर के पति सुशील गुर्जर और दो कथित बिचौलियों – नारायण ंिसह और अनिल दुबे – को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कथित तौर पर दो लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
आरोप है कि यह रिश्वत परिवादी को पट्टा जारी करने के लिए ली गई थी। बाद में, एसीबी ने गुर्जर के घर की तलाशी में 40 लाख रुपये से अधिक की नकदी और पट्टे की फाइल बरामद की थी। इसके बाद, राज्य सरकार ने पांच अगस्त को मुनेश को निलंबित कर दिया था।
मुनेश ने निलंबन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने निलंबन आदेश पर रोक लगा दी और उन्होंने 24 अगस्त को फिर से कार्यभार संभाला। लेकिन अब राज्य सरकार ने एक बार फिर उन्हें निलंबित कर दिया है।
स्वायत्त शासन विभाग के आदेश में कहा गया है कि प्रकरण की न्यायिक जांच वर्तमान में विधि विभाग के पास विचाराधीन है। इसमें कहा गया है, ‘‘मुनेश गुर्जर का आचरण और व्यवहार कर्तव्य निर्वहन में कदाचार और पद के दुरूपयोग की श्रेणी में आता है।’’ इस बारे में टिप्पणी के लिए गुर्जर से संपर्क नहीं हो सका है।