आरंग: छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार कौशल्या माता तीजा त्यौहार मनाने चंदखुरी आ रही हैं। ऐसी आस्था प्रकट किया है, छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने।उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला के नगर पंचायत चंदखुरी में माता कौशल्या का भव्य मंदिर है। उन्हें कोशल (प्राचीन छत्तीसगढ़) की बेटी होने की मान्यता प्राप्त है।छत्तीसगढ़ के तीज त्योहार के रीति अनुसार सभी बहन-बेटी अपने मायके में तीजा मानने आती हैं, इसी मान्यता को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष छत्तीसगढ़ की बेटी कौशल्या को अयोध्या से चंदखुरी लाने और तीजा मनाने लोक कलाकार अयोध्या गए थे।
छत्तीसगढ़ के दो लोक कलाकार डॉ .पुरुषोत्तम चंद्राकर और नरेंद्र यादव सांकेतिक रूप से तीजा लिहवाने अयोध्या गए। वहां चक्रवर्ती महाराजा दशरथजी की महल में प्रार्थना कर आज्ञा मांगा कि हम अपनी बहन कौशल्या को तीजा लेने आये हैं। हमारी बहन को हमारे साथ उनके मायके छत्तीसगढ़ ले जाने की अनुमति प्रदान कीजिएगा। यह उनकी प्रबल आस्था है कि महाराजा दशरथ की स्वीकृति के पश्चात श्रीराम जन्मभूमि, चक्रवर्ती महाराज दशरथ महल अयोध्या धाम की पवित्र मिट्टी वहां के पुजारी भगवान दास ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर इन लोक कलाकारों को प्रदान किया।
इसे लेकर लोक कलाकार द्वय अयोध्या धाम से रायपुर पहुंचे। रेलवे स्टेशन रायपुर में माता कौशल्या की प्रतिमूर्ति बनाने के लिए लाये गए इस पवित्र मिट्टी का भव्य स्वागत किया गया। चित्रोत्पला लोक कला परिषद के संस्थापक राकेश तिवारी के साथ सभी कलाकार बिरादरी और सर्व समाज के द्वारा पूजा-अर्चना कर स्वागत किया गया। इसके पश्चात पवित्र मिट्टी को छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार पीलू राम साहू (निमोरा) को माता कौशल्या की सुंदर मूर्ति बनाने के लिए सौंपा गया है। प्रभु श्रीरामचंद्र के बाल रूप को कौशल्या माता की गोद में बैठे हुए मूर्ति बनाने का आग्रह किया गया है। मां कौशल्या की मूर्ति बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
इस मूर्ति को चंदखुरी के लोकप्रिय पंडवानी गायिका प्रभा यादव के घर बिराजेंगे। जहां पर 15 सितंबर से 18 सितंबर 2023 तक विराजमान होने के पश्चात 19 सितंबर को चंदखुरी के तालाब में विसर्जित करेंगे।वहीं कलाकारों के संयोजन में माता कौशल्या की आरती, गीत और श्रीरामचंद्र पर गीत लेखन जारी है । ” मामा घर आए रामजी बाल लीला देखाए बर……” ऐसी लोक मान्यता है कि माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की बेटी थी।
तो वह तीजा मनाने अपने मायके जरूर आती रही होंगी और साथ में श्रीराम भी बाल रूप में मां के साथ छत्तीसगढ़ के पावन भूमि चंदखुरी में आते रहे होंगे। इसी छत्तीसगढ़ी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एक नई परंपरा की शुरुआत की जा रही है। कौशल्या को तीजा के लिए निमन्त्रण देने छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी खुरमी लेकर गये थे। अब हर साल तीज पर्व चंदखुरी में भव्य आयोजन के साथ मनाया जाएगा।
यह आयोजन चित्रोत्पला लोक कला परिषद रायपुर के निर्देशक और आयोजक राकेश तिवारी की परिकल्पना में, पीपला फाउंडेशन से जुड़े लोक कलाकार डॉ.पुरुषोत्तम चंद्राकर और साथियों के कुशल संयोजन में किया जा रहा है। वहीं नगर के पीपला वेलफेयर फाउंडेशन इस पहल की उन्मुक्त कंठ से सराहना करते हुए इस आयोजन का प्रचार प्रसार व सहभागी बनने जा रहे हैं।
रिपोर्टर – नमनश्री वर्मा आरंग