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BIG NEWS: वंदे भारत ट्रेन को लेकर भड़के जज, याचिकाकर्ता से कहा- यह सुप्रीम कोर्ट है कोई पोस्ट ऑफिस नहीं…

नई दिल्ली: कभी-कभी न्यायालय के दरवाजे पर ऐसे मामले दस्तक देते हैं जो आपको हैरानी में डाल देते हैं. जहां एक तरफ अदालत में लाखों मामले पेंडिंग हैं वहीं इन अजीबो गरीब मामलों की वजह से न्यायाधीशों की नाराजगी जाहिर होना स्वाभाविक है. हाल ही में केरल के एक वकील का ऐसा ही मामला सामने आया जिसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से नाराज होकर कहा कि आपने अदालत को पोस्ट ऑफिस समझ रखा है क्या. दरअसल भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायधीश मनोज मिश्रा केरल के वकील की एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. वकील चाहते थे कि अदालत वंदे भारत ट्रेन को उनके गृह जिले में भी रुकने का आदेश सुनाए. सीजेआई ने याचिकाकर्ता पीटी शीजिश को फटकार लगाते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि हम तय करें कि वंदे भारत कहां रुकेगी. इसके बाद हमें दिल्ली-मुंबई राजधानी को रोकने पर काम करना चाहिए. यह नीति से जुड़ा मामला है आप अधिकारियों के पास जाएं.”

मलप्पुरम में ट्रेन नहीं रुकना राजनीतिक मामला
याचिकाकर्ता ने बहस के दौरान कहा कि कम से कम सुप्रीम कोर्ट को सरकार से इस बारे में विचार करने को कहना चाहिए. जिस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि वह हस्तक्षेप नहीं करेंगे. इससे ऐसा प्रतीत होगा कि इस मामले में अदालत ने संज्ञान लिया है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी वाला क्षेत्र है और लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर ही निर्भर हैं, फिर भी जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ता ने कहा, तिरुर को मलप्पुरम जिले की ओर से एक स्टॉप आवंटित किया गया था. लेकिन भारतीय रेलवे ने स्टॉप वापस ले लिया और इसके बजाय पलक्कड़ जिले में शोर्नूर रेलवे स्टेशन आवंटित किया गया. जो कि तिरुर से करीब 56 किमी दूर है. वकील का यह भी आरोप था कि इसके पीछे राजनीतिक वजह है. उन्होंने तर्क दिया कि तिरुर रेलवे स्टेशन को स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के लोगों के साथ अन्याय है.

ट्रेन कहां रुकेगी यह फैसला सिर्फ रेलवे का
जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “ट्रेन के लिए स्टॉप निर्धारित करने का फैसला रेलवे का होता है. किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का कोई अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रुकना चाहिए. पता चला कि हर एक जिले में कोई भी व्यक्ति या उत्साही व्यक्ति अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन पर स्टॉप उपलब्ध कराने के लिए हंगामा करने लगा या मांग करने लगा, तो फिर हाई स्पीड ट्रेन चलाने का मकसद ही क्या रह जाएगा.”

हाइकोर्ट में भी हुई थी याचिका खारिज
इसके पहले एर्नाकुलम में केरल के उच्च न्यायालय ने भी यह याचिका खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट का मानना था कि अदालतें रेलवे ट्रेनों के लिए स्टॉप प्रदान करने के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं और यह पूरी तरह से रेलवे का विवेक और अधिकार क्षेत्र है. केरल में वंदे भारत तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक चलती है और उसी दिन लौटती है. यह एक प्रकार से राज्य के एक छोर से दूसरे छोर तक जाना है.

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