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Chhattisgarh: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुशासन के संकल्प को तार तार कर रहे भू माफिया…

बिलासपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुशासन के संकल्प को तार तार कर रहे भू माफिया व काथित राजस्व अफसरों के गठजोड़ ने बिलासपुर राजस्व विभाग की वर्किंग पर प्रश्नाचन्ह लगा रखा है जमीन उड़ाना व सरकारी जमीन को घड़ल्ले से डकारने के लिए विख्यात बिलासपुर तहसील अंतर्गत मोपका हल्का के पट्टे की भूमि पर राजस्व अभिलेख में दर्ज अहस्तांतरणीय को हटाने किए गए पुरजोर प्रयास उपरांत एसडीएम श्री कांत वर्मा द्वारा प्रकरण में आदेश पश्चात पुनर्विलोकन के लिए रखे जाने से राजस्व विभाग में घुसपैठ रखने वालों में विभिन्‍न चचाएंँ शुरू हो गई है।

भू माफियाओ व कथित राजस्व अफसरों की सांठगांठ के चलते बिलासपुर तहसील के लिए गले की फांस बना शहर से लगा मोपका क्षेत्र में 1980 के पहले बहुत सरकारी पढ्टे बने थे उक्त भूमि पट्टेदारों ने 1980 से 1988 के बीच दीगर लोगो को बिना कलेक्टर अनुमति के विक्रय कर दिया था. वर्ष 1992 मे इस मामले के प्रकाश मे आने के बाद अतिरिक्त कलेक्टर बिलासपुर ने इन सभी पट्टों को निरस्त कर दिया था लेकिन उस समय अधिकांश रसृखदार अपनी जमीन बचाने में सफल रहे थे उस दौरान कुछ सोसायटी ने भी कई एकड़ मे प्लाटिंग किया था जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया था।

इसी तारतम्य में भू राजस्व संहिता की धारा 115 के तहत 13/02/2023 को उत्तम केडिया वाले आदेश में एसडीएम बिलासपुर श्रीकांत वर्मा ने मोपका के खसरा नंबर 992/11 और 992/12 शासकीय पट्टेदार उत्तम केडिया के केस मे आदेश किया कि चुँक 18/04/1983 के रजिस्ट्री स्टाम्प मे पट्टा नहीं लिखा है इसलिए उत्तम केडिया की जमीन को भूमि मे से अहस्तान्तरणीय शब्द को हटाकर बिक्री की अनुमति दी गई।

चूंकि राजस्व प्रकरण के चालू रहने के दौरान भूमि की प्रकृति जानने मंगाए जाने वाले अनिवार्य व महत्वपूर्ण पटवारी प्रतिवेदन जिसमे भूमि से सम्बंधित मिशल , अधिकार अभिलेख व अन्य जानकारी विस्तृत रूप में होती है उक्त प्रतिवेदन व अन्य रिकार्ड को दरकिनार कर बिक्री की अनुमति देने संबंधी आदेश व मामला उजागर होने के बाद त्रुटि सुधार की भांति पुनर्विलोकन की अनुमति लेकर प्रकरण को अपने अधीन रखना बिलासपुर तहसील की वर्किंग के लिए नई बात नहीं है इससे पूर्व भी अधिकारियों ने अनेको गड़बड़झाला किया है तकरीबन 10 वर्ष पूर्व कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी के कार्यकाल में लिंगियाडीह व मोपका में सरकारी जमीन की बंदरबांट की जांच शुरू की गई थी जिसमे शहर के कई सफेदपोश सहित राजस्व अफसर भी फस चुके थे किंतु कलेक्टर के ट्रांसफर के बाद जांच ठंडे बस्ते में डाल दिया गया बहरहाल उत्तम केडिया प्रकरण में बिलासपुर एस.डी.एम श्रीकांत वर्मा ने पट्टा भूमि की जानकारी होने के बाद 13/02/2023 को पारित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए एस.डी.एम द्वारा वर्मा द्वारा अतिरिक्त कलेक्टर से पुनर्विलोकन का अनुमति लेकर प्रकरण में पुनः सुनवाई किया जाना भू माफियाओ के मंसूबो पर पानी फेरने जैसा है।

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