अनीता ध्रुव ने माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी को लिखा पत्र,उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व को निरस्त करने की मांग
धमतरी -उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में धमतरी जिला के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड नगरी के 36 ग्राम और गरियाबंद जिला के 40 गांव सीतानदी टायगर रिजर्व के अन्तर्गत आता है। जहां पर अरसे से 76 गांव के लगभग 30 हजार की जनसंख्या निवासरस है । जिनको वन विभाग के द्वारा उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के नाम से उनकी बुनियादी सुविधाओं के अधिकार का हनन किया गया है। क्योंकि वन विभाग को मालूम था कि इस क्षेत्र में बाघ ढूंढने से नहीं मिलता है तो लोगों को अंधकार में रखकर अधिकारिक तौर पर उनका शोषण क्यो किया जा रहा है। आदिवासी भाजपा नेत्री जिला पंचायत सदस्य अनीता ध्रुव ने शासन प्रशासन व क्षेत्रीय विधायक से यह सवाल किया है।कि जब बाघ ही नहीं तो यहां की जन समूह को अन्यत्र विस्थापित क्यो किया जाय। उन्हें बुनियादी से वंचित क्यो रखा गया है बसाहट से लेकर अब तक आर्थिक अभाव का दंश क्यो झेलना पड़ा हुआ है। उनकी जिन्दगी नरक की तरह क्यो दिखाई पड़ रही है। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व का रिसर्च रिपोर्ट में जब यहां बाघ ही नहीं है तो टाइगर रिजर्व को तत्काल बंद कर दिया जाए और यहां के पीड़ित ग्रामीणजन जो अभावग्रस्त व भयावह की जिन्दगी जी रहे हैं उसे सुविधा देकर सुख शांति व समृद्धि से जीने देने चाहिए।गौरतलब है कि जिला पंचायत सदस्य अनीता ध्रुव ने कलेक्ट्रेट जिला मुख्यालय धमतरी में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को गरियाबंद व धमतरी जिला कलेक्टर के माध्यम से पत्र भेजकर उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व को तत्काल निरस्त करने की मांग की है।जिला पंचायत सदस्य अनीता ध्रुव ने बताया कि उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में आजतक बाघ का नामोनिशान नहीं मिल पाया है। वन विभाग के द्वारा करोड़ों रूपये खर्च कर सीतानदी टायगर रिजर्व क्षेत्र में 200 टैप कैमरा भी लगाया गया था जिसमें भी बाघ का फोटो नही आया। 2020 रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक बाघ उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के बाहर के जंगलों में देखा जाता है जैसे वन मण्डल गरियाबंद का दहनई, सिकासार, नवागढ़, धवलपुर, मैनपुरगोबरा, भाठीगढ़ ये 30 किलोमीटर का इलाका बाघों का मुख्य ठिकाना है। इन क्षेत्रों के जतमाई, घटारानी, छुरा क्षेत्र में साल में एक या दो बार आ जाते हैं तथा इसी तरह वन मण्डल कांकेर,, केशकाल,, सोनाबेड़ा उड़ीसा के जंगलों में आठ से बारह बाघ होने का प्रमाणित किया गया है। इस कारण बाघ रिसर्च रिपोर्ट के मानचित्र में उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के समूल क्षेत्र को काले रंग से रंग दिया गया है। यह इसलिए कि बाघों का मूल निवास क्षेत्र सोनाबेड़ा अभयारण्य उड़ीसा है। जिनके घुमने का सर्कल क्षेत्र कुल्हाड़ी घाट रेंज के ताराझर,, नगरार सटे हुए हैं इस कारण कुल्हाड़ी घाट रेंज में 5 या 6 वर्षों में एकाध बार बाघ घुमने का प्रमाण मिल पाया है। ज्ञातव्य है कि जिन वन परिक्षेत्र में बाघ नहीं पायें गये हैं उन वन परिक्षेत्र को टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया है और बाघ नही होने के कारण उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में आजतक बाघ का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया है इसलिए उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।अनीता ध्रुव ने बताया कि उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के ग्रामों की जनता से रूबरू होकर जानकारी ली तो पता चला कि इस क्षेत्र में एक भी बाघ नहीं है फिर भी शासन प्रशासन द्वारा उन्हें मूलभूत सुविधा से संपूर्ण रूप से वंचित किया गया है। और जो बाघ मिलने की अफवाह उड़ाई जाती है वह महज मनगढ़ंत ही है। यदि धरातल पर देखा जाय तो इस जगह पर बाघ तो कल्पना मात्र है बल्कि खरगोश ढूंढने से भी नही मिलता। अनीता ध्रुव ने सीतानदी टायगर रिजर्व क्षेत्र के गांवों के नागरिकों के साथ जो अन्याय हुआ है उनकी भरपायी करने एवं बुनियादी सुविधा मुहैया कराने का अनुरोध क्षेत्रीय विधायक डॉ.लक्ष्मी ध्रुव से करते हुए आपने बिना कुछ जानकारी लिये सिहावा विधानसभा क्षेत्र के लगभग 36 ग्राम :- मारियामारी, खल्लारी, चमेंदा, लिलांज, आमझर, गहनासियार, बिरनासिल्ली, बहीगांव, करही, कारीपानी, भीरागांव, एकावाही, बरोली,गाताबाहरा, साल्हेभाट, सिंगनपुर, जोरातराई, ढोढ़ाझरिया, मासुलकोई, रिसगांव, अरसीकन्हार, मादागिरी, सनबाहरा, बोईरगांव, खालगढ़, मेंचका, तुमड़ीबाहर, ठेनही, बेलरबाहरा, अर्जुनी, बासीन, दौड़ पण्डरीपानी, चन्दन बाहरा, जोगीबिरदो को अन्यत्र जगह विस्थापित करने संबंधी शासन प्रशासन को भेजें गये पत्र को वापस लेकर जनहित कार्य में क्षेत्र के जनता के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलकर सहयोग करने की बात कही है। ताकि उस क्षेत्र के ग्राम के गरीब जनता को बिजली,, पानी,, सड़क,, पुल-पुलिया,, स्वास्थ्य ,,शिक्षा व शासन प्रशासन के विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बराबर मिल सके।अनीता ध्रुव के एक दिवसीय धरना प्रदर्शन को समर्थन देने धमतरी भाजपा महिला मोर्चा के मंडल अध्यक्ष श्रीमती श्यामा साहू पार्षद,, रितेश कुमार नेताम पार्षद सोरीद,, चित्ररेखा निर्मलकर पूर्व उपाध्यक्ष नगरपालिका धमतरी,, कोमल दास मानिकपुरी,, समारू राम सोरी,, अजय यादव,, प्रकाश साहू,, जितेन्द्र कुमार साहू,, खेदराम निर्मलकर,, नरेश कुमार दीवान धरना स्थल पर पहुंचे। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के मार्गों की हालत दयनीय उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में आजतक न सड़क बनी और न ही बिजली लालटेन के सहारे जीने को मजबुर है ग्रामीण। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के सीमा में बसे धमतरी जिला के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड नगरी के 36 गांवों व गरियाबंद जिला के 40 गांव उड़ीसा सीमा से लगा हुआ है जहां अधिकांश गांवों में आज तक बिजली नही लगने से इन गांवों में शाम होते ही घना अंधेरा छा जाता है। पुरा क्षेत्र अंधेरे के आगोश में समा जाता है। आज भी 21 वीं सदी के लोगों को रात के अंधेरे को दूर करने के लिए लालटेन का सहारा लेना पड़ा रहा है और इन लालटेनों में रोशनी के लिए मिलों दुरी तय करने के बाद दो लीटर मिट्टी तेल नसीब होता है। ये लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं पर सुनने वाला इनका कोई नही है।उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के बच्चें शिक्षक और स्कूल भवन की मांग करते रहे पर आज तक न स्कूल मिला न शिक्षक मिल पाया है विडम्बना देखिए कि बाघ के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं किन्तु उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के ग्रामीणों को आज तक मूलभूत सुविधा उपलब्ध नही कराया जा सका है। मूलभूत सुविधाओं के मोहताज सीतानदी टायगर रिजर्व के ग्रामीणों व स्कूली बच्चों के द्वारा शिक्षक और स्कूल भवन की मांग करते थक चुके हैं। स्कूली बच्चे स्कूल में शिक्षकों के लिए तरस रहे हैं। किन्तु आज तक न स्कूल मिला और न ही शिक्षक मिल पाया। इस क्षेत्र के गांवों में हाईस्कूल नही होने के कारण यहां के छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन 30 किलोमीटर दूर सायकल के सहारे पढ़ाई करने आना-जाना पड़ता है सबसे ज्यादा परेशानी इन ठंड के दिनों में होती है शाम 4 बजे स्कूल छुट्टी होने पर घर पहुंचने तक अंधेरा छा जाता है। लम्बे समय से हाईस्कूल की मांग किया जा रहा है। परन्तु आज तक मांगें नही सुनी गयी है। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के नदी-नालों में नही बना है पुल-पुलिया स्कूली बच्चे खतरा उठाकर नदी को पार करते हैं उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व क्षेत्र के नदी-नालों में पुल-पुलिया निर्माण नही होने के कारण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल तक इन नदी-नालों को पार कर पढ़ाई करने के लिए आना-जाना पड़ता है। नदी-नालों में पुल-पुलिया की मांग ग्रामीणों के द्वारा लम्बे समय से किया जा रहा है। किन्तु अभी तक पुल-पुलिया निर्माण नही किया गया है। जिससे हाईस्कूल,, मिडिल स्कूल के छात्र-छात्राओं को मजबुरी में इस नदी-नालों को पार कर स्कूल तक पहुंचना पड़ता है।