योग वेदांत सेवा समिति राजनांदगांव व समस्त साधक परिवार के द्वारा पूज्य संत आशारामजी बापू का अवतरण दिवस अर्थात् ‘विश्व सेवा-सत्संग दिवस’ पर विभिन्न निःस्वार्थ सेवाकार्यों को करते हुए मोहारा स्थित आश्रम में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । 87वां अवतरण दिवस पर 87 दीप प्रज्वलित कर भजन-कीर्तन व सत्संग का श्रवण किया गया। सुबह से साधको की काफी भीड़ उमड़ने लगी तथा कार्यक्रम के अंत में मोहारा आश्रम से शहर की ओर एक विशाल संकीर्तन यात्रा का आयोजन हुआ जिसमें सांस्कृतिक झाँकियों के साथ-साथ समिति एवं आश्रम द्वारा संचालित सेवाकार्य, संत-महापुरुषों की महिमा, देशभक्ति दर्शाते बैनर और गरीबों की सेवा के संदेश को लेकर हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया ।
भीड़ देख के लगा कि बापूजी के जेल में होने के बावजूद उनके शिष्यों की श्रद्धा में थोड़ी भी कमी नहीं आयी है । संकीर्तन यात्रा शुरुआत का शुभारंभ मोहारा स्थित संत आशारामजी बापू आश्रम से निकालकर नंदई चौक, गंज चौक, रामाधीन मार्ग, कामठी लाइन, मानव मंदिर चौक तथा अंत में गुरुद्वारा के पास पहुंचकर सम्पन्न हुई । जगह-जगह संकीर्तन यात्रा का पुष्प-हारों से स्वागत किया गया । इसके अलावा गरीबों, जरूरतमंदों में भंडारे का आयोजन भी किया गया । इस निमित्त डोंगरगढ़, डोंगरगांव, गोटाटोला, गंडई, खैरागढ के सार्वजनिक स्थानों पर निःशुल्क शीतल पलाश शरबत, छाछ, फल वितरण की सेवा की गयी जो आगे भी पूरी गर्मियों में चालू रहेगी।
योग वेदांत सेवा समिति के पदाधिकारीगण टीके चंद्राकर, महेश रायचा, संतोष पिल्ले
ने संयुक्त रूप से बताया कि आज विश्व के सामने खड़ी अनेक समस्याओं का समाधान समाज की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से ही सम्भव है। इसका उद्घोष एवं सफल भगीरथ प्रयास किया है – लोकसंत आशारामजी बापू ने । उनका यह प्रयास आज विश्वव्यापी अभियान का रूप ले चुका है । पूज्य बापूजी से प्रेरणा पाकर उनके करोड़ो शिष्य अपने सद्गुरुदेव के अवतरण-दिवस को ‘विश्व सेवा-सत्संग’ दिवस के रूप में पिछले अनेक वर्षों से मनाते आ रहे हैं । गत वर्षों की तरह इस अवतरण दिवस पर भी पूज्य बापूजी के शिष्यों द्वारा वर्षभर चलनेवाले 27 मुख्य एवं अन्य कई सेवा अभियानों का नवीनीकरण भी होता है ।
संत आशारामजी बापू का कहना है कि कर्म करने की कला जान लो और उसे कर्मयोग बनाओ तो कर्म आपको भगवान से मिलानेवाले हो जायेंगे | आप ‘बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय’ कार्य करके स्वयं परमात्मा में विश्रांति पा लो । बाहर से सुख पाने की वासना मिटाओ और सुखस्वरूप में विश्रांति पाते जाओ ।’ इन्हीं वचनों का आदर करते हुए पूज्यश्री के शिष्यों द्वारा विभिन्न समाजोत्थान के कार्य किये जाते हैं । गरीबों, अनाथों, अभावग्रस्त आदिवासियों और अस्पतालों में मरीजों को अन्न, औषधि, वस्त्र आदि जीवनोपयोगी वस्तुएँ तथा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है तथा बच्चों को सत्साहित्य, नोटबुकें आदि का वितरण, ‘निःशुल्क चिकित्सा शिविरों’ का आयोजन आदि किया जाता है ।
सफल आयोजन में समिति अध्यक्ष रोहित चंद्राकर, कोषाध्यक्ष टीके चंद्राकर, सचिव लेखराम साहू, दिलीप सिन्हा, डोंगरगांव से उमाशंकर कुंवर, मोहला से गोपाल यादव, डोंगरगढ़ से नम्मू साहू, राजू भाई, खैरागढ से ओमराम, ओमकार, गंडई से दिलीप साहू आदि का विशेष सहयोग रहा ।
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