पुष्पेंद्र साहू, धमतरी
धमतरी – छत्तीसगढ़ में रायपुर जिले में देह व्यापार के मामले सबसे अधिक आते रहे ही , जिस पर पुलिस लगातार कार्यवाही कर रही है , अब यह व्यापार अब धर्म की नगरी धमतरी में भी फलने फूलने लगे है पुलिस प्रशासन की उदाशीनता कहे या फिर मिलीभगत जिसके कारण आज धमतरी में बड़े बड़े कालोनियां जहाँ सभ्य लोग निवास करते है ,जिसे इस बात की भी भनक नही है कि उसके ही आसपास देह व्यापार चल रहा है और पुलिस द्वारा इस पर ध्यान नही दिया जा रहा , आश्चर्य की बात तो यह है कि इस देह व्यापार में गरीब घर की नाबालिक लड़कियों को ढकेल दिया गया है ,अब उन लड़कियो को पैसे का लालच की लत लग चुकी है धीरे धिरे देह व्यापार में शहर की लड़किया शामिल हो रही है , धर्म की नगरी कहे जहर वाले धमतरी में अब लगता नजर आ रहा है जिसे जल्द ही मिटाने की जरूरत है , इस देह व्यापार को चलाने वाले महिला हो या पुरूष खूब पैसा कमा रहे है , प्रति व्यक्ति का 1000 के हिसाब से लड़कियों की बोली लगाई जाती है ,इसमे महिलाये भी शामिल है जो कम पैसे जैसे 500 में भी अपना जिस्म बेचती है धमतरी में कई जगह अब देह व्यापार का धंधा फल फूल रहा है ,
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये लडकिय शहर में भी घूम के अब ग्राहकों की तलाश में लगी रहती है शाम को ये शहर के की जगहों पर देखने को मिल जाती है , बता दे कि सुबह 11 बजे से 5 बजे कालोनी में चलने वाले देहव्यापार शहर के साथ साथ ग्रामीण इलाके के युवा और लोग अधिक आते है एक दिन में लगभग 6 घंटे चलने वाले इस गोरख धंधे में प्रतिदिन 20 से 30 लोग अपना हवस मिटाने आते है, धमतरी पुलिस को अब इस पर कठोर कार्यवाही करने की आवश्यकता हैदेह व्यापार में संलिप्त लोगों के पकड़े जाने पर पुलिस पीटा एक्ट के तहत कार्रवाई तो करती है, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद ठंडा पड़ जाता है। कोर्ट में पीटा एक्ट के जितने भी मामले पहुंचे हैं, पुलिस किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलाने में नाकाम साबित हुई है। आपको बता दे के अर्जुनी थाना में 2019 में पीटा एक्ट के तहत कार्यवाही हुई है उसके बाद पुलिस प्रशासन निद्रा में है ।शहर के पॉश कालोनियों में निजी और सार्वजनिक स्थानों में देह व्यापार संचालित होने की सूचना मिलने के बाद पुलिस पाइंटर भेजकर छापे की कार्रवाई करती है। पाइंटर के निशानदेही पर पुलिस जहां छापा मारने जाती है। वहां अश्लील गतिविधि संचालित होने की स्थिति में और दो से अधिक लोगों की मौजूदगी होने पर पुलिस पीटा एक्ट के तहत कार्रवाई कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत करती है।पुलिस द्वारा पूरी मशक्कत करने के बाद आरोपियों को पकड़ना और आरोपियों को कोर्ट की दहलीज तक पहुंचाने के बावजूद इसके आरोपियों का कोर्ट से बाइज्जत बरी हो जाना कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाती है।जमानतदार तक नहीं मिलतेपुलिस ने अब तक पीटा एक्ट की जितनी भी कार्रवाई की है। आरोपियों के जमानत लेने कोई सामने नहीं आता, बावजूद इसके आरोपी कोर्ट से बाइज्जत बरी हो जाते हैं। जानकारों की मानें तो पर्दे के पीछे से देह व्यापार संचालित करने वाले गिरोह के लोग मामला ठंडा पड़ने के बाद आरोपियों के जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन लगाते हैं। सामाजिक बदनामी से बचने के लिए जमानतदार ऐसा करते हैं।यह है पीटा एक्ट की सजापीटा (प्रिवेंशन ऑफ इम्मोरल ट्रैफिकिंग एक्ट) एक्ट अनैतिक देह व्यापार को रोकने के लिए 1956 में कानून बनाया गया है। 1986 में इसमें संशोधन किया गया। इस कानून के तहत अनैतिक देह व्यापार करने वाली कॉलगर्ल को तीन से छह माह की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ग्राहक के लिए कानून में अलग-अलग सजा है। पब्लिक प्लेस या नोटिफाइड एरिया में गिरफ्तार होने पर तीन माह की सजा। कॉलगर्ल अगर 18 साल से कम उम्र की हो तो ग्राहक को 7 से 10 साल की सजा हो सकती है।इसलिए बच निकलते हैं आरोपीविधि विशेषज्ञों के मुताबिक पीटा एक्ट की कार्रवाई में आरोपियों के बचने की सबसे बड़ी वजह इसमें पुलिस ही गवाह रहती है। इसमें जो स्वतंत्र गवाह होते हैं, वे भी पुलिस द्वारा भेजे गए पाइंटर होते हैं।
कोर्ट में पाइंटर आरोपियों को पहचानने से इनकार कर देते हैं या फिर वे अभियुक्तों के साथ सांठ-गांठ कर कोर्ट में बयान बदल देते हैं। इस वजह से कोर्ट में सबूतों के अभाव में आरोपियों को संदेह का लाभ मिल जाता है।साक्ष्यों का अभावइस तरह के प्रकरण में पुलिस वाले ही साक्षी होते हैं। जो स्वतंत्र साक्ष्य रहते हैं, उनकी कहीं न कहीं आरोपियों के साथ सांठ-गांठ रहती है। इस तरह साक्ष्यों के अभाव में आरोपी कोर्ट से बरी हो जाते हैं। -उक्त समाचार में हमारे संवाददाता द्वारा ग्राउंड में स्टिंग ऑपरेशन कर उसके आधार पर समाचार बनाया गया है अब कार्य धमतरी पुलिस का है इस पर किस तरह कार्यवाही करती है