छत्तीसगढ़ में विधानसभा उप चुनाव का बिगुल बज गया है। यह चुनाव कांकेर जिले की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए हाेना है। यह सीट पिछले महीने कांग्रेस विधायक मनोज सिंह मंडावी के निधन से खाली हुई है। भारत निर्वाचन आयोग ने शनिवार को इस चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया। यह चुनाव गुजरात चुनाव के साथ ही कराया जाएगा। इसका परिणाम भी गुजरात-हिमाचल के परिणामों के साथ आएगा। निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में एक संसदीय सीट और पांच विधानसभा सीटों पर उप चुनाव का कार्यक्रम जारी किया है। इसमें उत्तर प्रदेश की मैनपुरी संसदीय सीट है। इसके अलावा ओडिशा की पद्मपुर, राजस्थान की सरदार शहर, बिहार की कुरहनी, छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर और उत्तर प्रदेश की रामपुर विधानसभा सीट पर उप चुनाव होने हैं। (Announcement of by-election in Chhattisgarh)
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इन चुनावों की अधिसूचना 10 नवम्बर को जारी कर दी जाएगी। इसी के साथ नामांकन शुरू होगा। पांच दिसम्बर को मतदान और 8 दिसम्बर को मतगणना की तारीख तय की गई है। चुनाव कार्यक्रम जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।
ऐसा रहेगा चुनाव का पूरा शेड्यूल
1.नामांकन-10 नवम्बर से 17 नवम्बर
2.नामांकन की जांच -18 नवम्बर
3.नाम वापसी का मौका -21 नवम्बर तक
4.मतदान-5 दिसम्बर
5.मतगणना- 8 दिसम्बर
6.चुनाव खत्म-10 दिसम्बर
आयोग ने दो दिन पहले ही औपचारिकता पूरी की छत्तीसगढ़ में अगले साल नवम्बर में विधानसभा के आम चुनाव हैं। ऐसे में तय माना जा रहा है कि भानुप्रतापपुर की रिक्त सीट पर चुनाव दिसम्बर-जनवरी तक करा लिया जाएगा। इससे पहले निर्वाचन आयोग को कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी थी। दो नवम्बर को निर्वाचन आयोग ने भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों के तौर पर अधिसूचित अधिकारियों में बदलाव कर नई अधिसूचना जारी की। इसके मुताबिक कांकेर के जिला पंचायत सीईओ भानुप्रतापपुर के निर्वाचन अधिकारी होंगे। वहीं कांकेर के डिप्टी कलेक्टर और भानुप्रतापपुर के तहसीलदार को सहायक निर्वाचन अधिकारी नामित कर दिया गया है। (Announcement of by-election in Chhattisgarh)
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इस सीट पर बजेपी-कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होगा।
ऐसा रहा है भानुप्रतापपुर का चुनावी मिजाजसंयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई ने कांग्रेस के पाटला ठाकुर को हराया। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीत गए। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई की जीत हुई। 1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फिर जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
चार सालों में पांचवी बार हो रहा है उपचुनावछत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उप चुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हाे चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।
16 अक्टूबर को मंडावी का निधन हुआ था भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक और आदिवासी समाज के प्रभावशाली नेताओं में से एक मनोज सिंह मंडावी का 16 अक्टूबर को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। अस्पताल पहुंचने तक उनका निधन हो चुका था। उनकी अन्त्येष्टि में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित प्रदेश कांग्रेस का पूरा नेतृत्व उनके पैतृक गांव नथिया नवागांव पहुंचा था। प्रदेश में राजकीय शोक घोषित हुआ। उनके निधन के बाद विधानसभा में उनकी सीट को रिक्त घोषित कर कर निर्वाचन आयोग को सूचना भेजी गई थी। यहां पढ़िए पूरी खबर