
बलौदाबाजार – शासन प्रशासन की घोर लापरवाही से बदहाल जीवन जीने को मजबूर बलौदाबाजार जिले के सांवरा आदिवासी परिवार। इन आदिवासियों की जमीनी हकीकत क्या कह रही है।
छत्तीसगढ़ में सरकार आदिवासियों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न सुविधायें योजनाएं लाये जा रहे यहाँ तक विश्व आदिवासी दिवस भी मनाए जा रहे है। लेकिन जमीनी स्तर को देखे तो हाल बदहाल नजर आते है योजना तो बहुत दूर की बात है यहाँ मूलभूत सुविधाओं से ही वंचित है। इनके मुख्य कारण जिले में बैठे जिला अधिकारी है ।

बता दे कि बलौदाबाजार जिले में 40 साल से निवासरत सांवरा परिवार बलौदाबाजार जिला बनने के बाद लगभग 115 से 120 परिवार को नगर पालिका द्वारा हटाया गया जिसमें पट्टे की जमीन भी थे। जिनके मुवावजा नही मिल पाया बलौदाबाजार से 3 किलोमीटर दूर कुकुर्दी ग्राम पंचायत में बसाया गया लेकिन ग्राम पंचायत अपना नही बताया जा रहा है। अब वोट डालने के अधिकार से भी वंचित होना पड़ रहा है। उनके बुजुर्गों का कहना है कि हमारे पूर्वज पिछले 40 सालों से निवास करते आ रहे है। पट्टे की जमीन भी है। लेकिन हमारा अभी तक जाती प्रमाण पत्र भी नही बना है। इसलिए सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
बलौदाबाजार के अंतर्गत स्थित सांवरा आदिवासी परिवार को 10 सालों से किसी नेता मंत्री जायजा भी नही लिया। पूरे सांवरा आदिवासी परिवार अभी तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। बिजली,रहने को घर नही न ही पानी की सुविधा नही जैसे तैसे अपने जीवन यापन करते है लेकिन जहरीले जीव जानवरो का खतरा बना रहता है जैसे ही गर्मी आते है। पानी की बड़ी समस्या होती है। पानी लाने के लिए सड़क पार कर काफ़ी दूर जाना पड़ता हैं। एक बार तो सड़क पार करते घटना से एक बच्चे की मृत्यु भी हो चुकी है। सांवरा परिवार में लगभग 700 लोग निवास करते है। प्रशासन की भेद भाव के कारण अभी तक किसी तरह से स्कूल शिक्षा व्यवस्था भी नही है। सांवरा परिवार के 100 से अधिक बच्चे भेदभाव के कारण शिक्षा से वंचित होने उनके भविष्य अंधकार की ओर है सरकार आदिवासी के लिए अनेक प्रकार की वादा करते है लेकिन जमीनी स्तर में कुछ अलग कहता है