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सुख रहे खेत, फसल हो रही चौपट,खुटाघाट से पानी छोड़ने के कारण फसल हो रही बरबाद…

बिलासपुर में रबी फसल के लिए खूंटाघाट से पानी नहीं छोड़ने के कारण किसानों के खेत सूखने लगे हैं और जमीन में दरारें आ रही हैं। इसके चलते फसल चौपट हो रही है। किसानों की मांग के बाद भी जल संसाधन विभाग के अफसर सिंचाई के लिए पानी छोड़ने कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। दरअसल, यहां सिंचित एरिया में आने वाले किसान हर साल गर्मी के दिनों में भी धान की फसल उगाते हैं। लेकिन, इस बार सिंचाई के लिए पानी नहीं देने से उन्हें परेशानी होने लगी है।

रतनपुर स्थित खूंटाघाट डैम से हर साल रबी फसल के लिए किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया जाता है। पानी मिलने की उम्मीद से इस बार भी सीपत क्षेत्र के साथ ही मस्तूरी के किसानों ने रबी फसल लगाया है। खासकर ज्यादातर किसानों ने फिर से यहां धान लगा रखा है। लेकिन, इस बार अभी तक जल संसाधन विभाग ने डैम से पानी नहीं छोड़ा है।

सप्ताह भर में पानी मिल जाए, तो बच सकती है फसल
किसानों का कहना है कि उन्होंने जल संसाधन विभाग के अफसरों से डैम से पानी छोड़ने की मांग की थी, जिस पर उन्हें पानी देने का आश्वासन दिया गया था। इसी उम्मीद में आकर उन्होंने फसल लगाया है। किसान अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें पानी मिल जाएगा। उनका कहना है कि एक सप्ताह के भीतर पानी मिलने पर फसल बच सकती है।

50 एकड़ खेती की फसल हो जाएगी बर्बाद
नवागांव के किसान हर साल रबी फसल की बुआई करते हैं। पहले खूंटाघाट से पानी उपलब्ध कराया जाता था। इससे किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता था। इस बार भी किसानों ने खूंटाघाट से पानी मिलने की उम्मीद में करीब 50 एकड़ में रबी फसल की बुआई की। अब अधिकारी खूंटाघाट से पानी नहीं छोड़ने की बात कह रहे हैं। इससे किसानों में हड़कंप मच गया है। खेतों की जुताई व बीज बोने के बाद के फंस गए हैं। किसान किसी तरह स्थानीय जल स्रोंत से सिंचाई कर रहे थे। मगर गर्मी बढ़ने के कारण जल स्रोत भी सूख गए। इससे सिंचाई का साधन खत्म हो गया।

अब हालत ऐसी है कि सिंचाई के अभाव में 50 एकड़ खेतों में दरारें पड़ गई हैं। 30 फीसद फसल बर्बाद हो चुकी हैं। जल्द ही खेतों में पानी पहुंचता है तो शेष फसल को बचाया जा सकता है। हालांकि उत्पादन प्रभावित होगा। लेकिन किसानों की लागत निकल जाएगी। किसान गुहाराम धीवर, खेमाराम, छतराम, भगत साहू, मनहरण रजक, विश्राम पाटनवार, शत्रुहन साहू, किशुन यादव, बबलू साहू, जगदेव यादव, रामकृष्ण पांडेय, रामकुमार दुबे के खेत की फसल सूखने के कगार पर हैं।

फागुन के बाद तेज गर्मी पड़ने लगी है। तापमान 35-40 डिग्री तक पहुंच गया है। इसके कारण खेतों की नमी भी खत्म हो गई है। तेज धूप और तापमान अधिक होने के कारण फसल को ज्यादा लाभ नहीं हो रहा है। रबी फसल के ज्यादा पानी की जरूरत रहती है। इस बार किसानों को रबी फसल से बहुत उम्मीदें थीं। इसके चलते महंगा बीच लेकर बुआई की है। लेकिन अब पानी के अभाव में फसल को बचा पाना मुश्किल लग रहा है।किसानों ने जिला प्रशासन से लगाई गुहारग्राम पंचायत नवागांव के रहने वाले किसान गुहाराम धीवर ने कहा कि बड़ी उम्मीद के साथ रबी फसल लगाई है। लेकिन पानी की कमी के कारण खेत पूरी तरह सूख गए। फसल बर्बाद होने के कगार पर है। खूंटाघाट से पानी छोड़ने पर फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। जिला प्रशासन से उम्मीद है कि किसानों की समस्या दूर करेंगे।

छत्तीसगढ़ के ज्यादातर किसान खरीफ फसल में धान उगाते हैं। लेकिन, अब सिंचाई की सुविधा मिलने पर किसान धान का डबल उत्पादन भी करने लगे हैं। बिलासपुर के रतनपुर स्थित खूंटाघाट बांध से सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराए जाने पर यहां किसान रबी फसल के रूप में भी धान की खेती करते हैं। धान की बोआई जनवरी-फरवरी में होती है और महज तीन महीने में यह फसल तैयार हो जाता है। इससे किसानों को डबल फसल के साथ दोगुना लाभ मिल जाता है। मगर इस बार पानी नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई है।

अफसर बोले- किसानों को पहले ही किया गया था मना

जल संसाधन विभाग के खारंग डिवीजन के कार्यपालन अभियंता आरपी शुक्ला का कहना है कि किसानों को इस बार पहले से ही आगाह किया गया था कि हम पानी नहीं दे पाएंगे। इसलिए उन्हें धान का फसल नहीं लगाने कहा गया था। उन्होंने बताया कि इस बार बांध में मेंटेनेंस का काम होगा और इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया है। ऐसे में डैम से पानी छोड़ना संभव नहीं है।

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