अगर आप शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से बोर हो गए हैं तो मन बहलाने के लिए ईको टूरिज्म सेंटर की सैर करना बेहतर विकल्प हो सकता है। पिछले कुछ सालों से इसकी डिमांड बढ़ी है। बड़े शहरों के लोग इको टूरिज्म सेंटर का रुख कर रहे हैं। गुजरात के तापी जिले में स्थित पदमडुंगरी ईको टूरिज्म सेंटर भी ऐसे लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आ रहे हैं और परिवार के साथ एंजॉय कर रहे हैं।
व्यारा वन विभाग की देखरेख में यह पहल शुरू की गई है। खास बात यह है कि यह सेंटर विधवा महिलाएं चलाती हैं। इससे उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है। अभी 100 से ज्यादा महिलाएं इससे जुड़ी हैं।
कैंपस में सब कुछ ईको फ्रेंडली, प्लास्टिक की एंट्री बैन
इस कैंपस की खास बात यह है कि यहां सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन है। कैंपस के अंदर किसी भी तरह के प्लास्टिक आइटम की एंट्री नहीं होती है। कैंपस के अंदर इस्तेमाल किए जाने वाले फूड प्रोडक्ट की पैकेजिंग और सर्विंग में ईको फ्रेंडली मटेरियल का यूज होता है। प्लास्टिक की पानी की बॉटल की जगह कांच की बॉटल का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को एनवायरमेंट के प्रति जागरूक किया जा सके।
वन विभाग ने कैंपस के अंदर अंबिका ग्लास वाटर प्लांट बनाया है। इसके लिए अंबिका नदी से पानी कलेक्ट किया जाता है। फिर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से पानी को प्यूरीफाई किया जाता है। इसके के बाद कांच की बॉटल में पैक किया जाता है। इसे यहां काम करने वाली महिलाएं ऑपरेट करती हैं। इसके लिए बाकायदा उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई है।
पानी की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए इसमें तुलसी, पुदीना,अदरक और सौंफ जैसे हर्बल प्रोडक्ट मिलाए जाते हैं। यही वजह है कि यहां आने वाले हर टूरिस्ट की यह पहली पसंद है। भारी मात्रा में इस पानी की बॉटल की मार्केटिंग होती है। आधा लीटर पानी की बॉटल की कीमत 10 रुपए है।