आपने अक्सर यह बात तो सुना ही होगा कि नियम और कानून सबके लिए बराबर होते हैं फिर चाहे वो आम आदमी हो अधिकारी हो नेता हो या कोई बहुत बड़ा बिजनेसमैन ऐसा ही एक मामला स्थाई लोक अदालत जन उपयोगी सेवा अंबिकापुर मैं देखने को मिला जहां स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष ए आर ढीडही, राजेश कुमार सिंह सदस्य स्थाई लोक अदालत और संतोष कुमार शर्मा सदस्य स्थाई लोक अदालत के द्वारा एक बैंक के ऊपर कस्टमर को मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति के लिए 10000 रुपये का जुर्माना देने का आदेश किया गया है
दरअसल पूरा मामला चेक बाउंस का है जहां रमेश चंद्र शुक्ला उम्र 70 वर्ष जुड़ा पीपल निवासी अंबिकापुर द्वारा स्थाई लोक अदालत (जनउपयोगी सेवा) अंबिकापुर में 8/9/2021 को भारतीय स्टेट बैंक कलेक्ट्रेट ब्रांच शाखा प्रबंधक के ऊपर लापरवाही पूर्वक चेक डिशऑनर करने के संबंध में आवेदन पेश किया गया आवेदक रमेश चंद्र शुक्ला ने बैंक पर आरोप लगाया कि उनका और उनकी पत्नी का जॉइंट अकाउंट स्टेट बैंक कि कलेक्ट्रेट शाखा में है जिसका चेक बुक रमाकांत शुक्ला के नाम से जारी है दिनांक 18/01/ 2021 को ₹35000 का चेक श्री राम ट्रेडर्स को प्रदान किया गया जिससे उसने केनरा बैंक कलेक्शन के लिए दिनांक 21 01 2021 को जमा किया था स्टेट बैंक द्वारा जमा करता के हस्ताक्षर में अंतर होना कहकर डिसऑनर कर दिया गया जिसके बाद आवेदक बैंक मैनेजर के पास गया तब उसने कंप्यूटर में देखकर बताया कि हमारे सिस्टम में रमाकांत शुक्ला का हस्ताक्षर नहीं है जबकि चेक बुक उनके नाम पर ही जारी किया गया है और उनकी पत्नी के भी हस्ताक्षर से उच्च का भुगतान करना संभव था किंतु हस्ताक्षर का मिलान नहीं हो पा रहा है यह कहकर बैंक द्वारा उस चेक को डिशऑनर कर दिया गया था जबकि उस चेक पर ज्वाइंट अकाउंट के दोनों लोगों का यानी उनका और उनकी पत्नी का हस्ताक्षर मौजूद था और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ज्वाइंट अकाउंट में कोई भी एक हस्ताक्षर से रकम निकाली जा सकती है जिनके नाम से जॉइंट अकाउंट हो साथ ही बैंक के द्वारा आवेदक के मोबाइल पर ₹35000 उनके खाते से डेबिट होने की सूचना भी दी गई थी जो तथ्य को प्रमाणित करती है कि प्रथम दृष्टि में चेक के हस्ताक्षर मिलते हैं जिससे बाद में पुनः आवेदक के खाते में क्रेडिट करने में और उनके खाते से ₹177 डिडक्ट करने का मैसेज दिया गया तथा उक्त चेक के डिशऑनर होने से आवेदक के खाते से ₹177 एवं श्री राम ट्रेडर्स के खाते से ₹590 काट लिए गए बहरहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थाई लोक अदालत ने आज फैसला सुनाते हुए बैंक को मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति 10000 रुपये 30 दिनों के भीतर देने का आदेश दिया है साथी बैंक को त्रुटि सुधार कर संबंधित दोनों खातेदारों से खाते काटी गई रकम 177 एवं 590रुपये वापस उनके खाते में जमा करने का भी आदेश दिया है साथी बैंक को आवेदक का वाद व वाहन करने का भी आदेश स्थाई लोक अदालत द्वारा जारी किया गया है