छत्तीसगढ़

राज्य में भ्रष्टाचार शिखर पर,पहाड़ी कोरवाओं के नाम पर धोखाधड़ी का अजीबोगरीब मामला आया सामने

बिना प्रशिक्षण के बांटे प्रमाण पत्र और अधिकारियों के मिली भगत से डकार लिए लाखों रुपए,प्रबल प्रताप सिंह जूदेव के पास विजय विहार पैलेस पहुंच पहाड़ी कोरवाओं ने लगाया न्याय का गुहार

रायपुर : छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला अंतर्गत लुण्ड्रा जनपद में पहाड़ी कोरवाओं के साथ ठगी का अजीबो गरीब मामला सामने आया है,यहां पहाड़ी कोरवाओं के नाम पर संचालित पहाड़ी कोरवा विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार का भी मामला उजागर हुआ है।भ्रष्टाचार और ठगी के मामले में न्याय का गुहार लगाने भारी संख्या में पीड़ित पहाड़ी कोरवा जशपुर के विजय विहार पैलेस पहुंचे और कोरवाओं के संरक्षक व भाजपा प्रदेश मंत्री प्रबल प्रताप सिंह जूदेव से गुहार लगा न्याय का मांग किया है।प्रबल ने पहाड़ी कोरवाओं का बात सुन उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है,साथ ही कांग्रेस की सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है।प्रबल से मिलने पहुंचे पहाड़ी कोरवाओं ने प्रशासन पर एक एनजीओ से मिली भगत कर बड़े भ्रष्टाचार को जन्म देने का गंभीर आरोप भी लगाया है जिसमें बिना प्रशिक्षण पूर्ण किए प्रमाणपत्र वितरण और मिलीभगत से पहाड़ी कोरवा विकास प्राधिकरण के पैसे का बंदरबाट किए जाने का आरोप प्रमुखता से शामिल है।

ज्ञात हो की शुक्रवार को देर शाम सरगुजा जिले के लुण्ड्रा में निवासरत पहाड़ी कोरवा समुदाय के लोग जशपुर के विजय विहार पैलेस पहुंचे।यहां उन्होंने पहाड़ी कोरवाओं के संरक्षक प्रबल प्रताप सिंह जूदेव से मुलाकात कर घटना का विवरण प्रस्तुत कर उनके साथ छल किया जाने और कोरवाओं के विकास व उत्थान को बने योजना में भारी लापरवाही बरतने के साथ साथ भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया गया।पहाड़ी कोरवाओं ने बताया की लुण्ड्रा जनपद पंचायत क्षेत्र में निवासरत पहाड़ी कोरवाओं को आदिवासी विकास के परियोजना अधिकारी कोरवा विकास प्राधिकरण योजना के तहत ड्राइविंग ट्रेनिंग का प्रशिक्षण दिया जाना सुनिश्चित हुआ था,बकायदा इसके लिए शासन के तरफ से जनपद पंचायत लुण्ड्रा को आदेश भी जारी हुआ,जिसके पश्चात कार्य एजेंसी लुण्ड्रा बना और एक एनजीओ से मिलीभगत कर प्रशिक्षण कार्य शुरू कराया गया।प्रशिक्षण के नाम पर उन्हें कभी कभी चार पहिया वाहन पर बैठाया गया और क्लच गेयर व ब्रेक के संबंध में जानकारी बताया गया जिसके बाद रोजाना 45 दिनों तक उन्हें समोसा खिला वाहनों में बैठे हुवे फोटो खींच वापस घर भेज दिया जाता रहा।प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ड्राइविंग भी नहीं कराया गया और न ही प्रशिक्षण उपरांत उन्हें ड्राइविंग आता है।इस क्रम में 45 दिवस के पश्चात उन्हें बकायदा ड्राइविंग प्रशिक्षण पूर्ण कर ड्राइविंग का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया और फोटो खिंचवा कर कोरवाओं के प्रशिक्षण के नाम पर मिलने वाले भारी भरकम राशि पर भ्रष्टाचार कर डकार लिया गया।कोरवाओं ने बताया की एक बोलेरो से मात्र २ घंटे का समय २२ कोरवाओं को प्रशिक्षण के नाम पर दिया जाता था,जिसमें समोसा खिलाने से लेकर २२ लोगों को प्रतिदिन बोलेरो में बैठा वाहन के संबंध में मौखिक जानकारी बता फोटो खींचने का कार्य कर इतने में ही प्रशिक्षण पूर्ण किया गया।कोरवाओं ने आरोप लगाया की इस 45 दिवस के भीतर जनपद पंचायत सहित जिला प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी प्रशिक्षण का निरीक्षण भी लेने नहीं पहुंचा।कोरवाओं ने आगे बताया की वह अब सर्टिफिकेट लेकर नौकरी की तलाश में दर दर भटक रहे हैं।अब वे इस प्रमाण पत्र पर नौकरी खोज रहे है, लेकिन उन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता। उन्होंने इसे लेकर शपथ पत्र के साथ शिकायत की है और धोखाधड़ी पर एनजीओ के खिलाफ केस दर्ज करने मांग की है।पहाड़ी कोरवा युवाओं ने सामाजिक कार्यकताओं के साथ इसकी शिकायत कलेक्टर व जनपद सीईओ संजय दुबे से की है। वहीं इस पर राशि की वसूली और अपराध दर्ज कराने की मांग की है।घटना की जानकारी पाकर प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने कड़ी निंदा करते हुवे प्रशासन से समय रहते इस घटना पर जांच और कार्यवाही का मांग किया है प्रबल ने कहा है की राज्य की कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है,भोले भाले पहाड़ी कोरवाओं के नाम पर छल और भ्रष्टाचार के मामले पर कार्यवाही नहीं होने की दशा में वह आंदोलन का रुख भी अपना सकते हैं।पहाड़ी कोरवाओं के साथ किसी भी कीमत पर छल कपट बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।पहाड़ी कोरवाओं को पुनः विधिवत प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने प्रशासन को पहल करनी चाहिए।

क्या है पूरा मामला

आदिवासी विभाग के परियोजना अधिकारी पहाड़ी कोरवा विकास प्राधिकरण के अधिकारी ने 6 जून 2020 को जनपद पंचायत लुन्ड्रा को ट्रेनिंग कार्य एजेंसी बनाते हुए आदेश जारी किया कि केंद्रीय क्षेत्रीय योजना के तहत विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के युवाओं को मोटर प्रशिक्षण दिया जाए। इसके बाद जनपद ने यह काम एक स्थानीय एनजीओ ग्रामीण साक्षरता सेवा संस्थान को दे दिया और इसके लिए बकायदा कागजी खानापूर्ति भी पूर्ण कर ली गई। जिसके बाद गांव के ही मस्तकिम खान के पास ग्रामीण साक्षरता सेवा संस्थान के प्रदेश समन्वयक दीपक बारीक पहुंचे और उन्होंने कहा कि पहाड़ी कोरवा युवकों को गाड़ी चलाने का डेढ़ माह तक हर रोज दो दो घंटे ट्रेनिंग देना है। इस पर उन्हें प्रतिदिन हजार रुपए देने की बात कही गई। एक बोलेरो वाहन से हर रोज वे दो दो घंटे ट्रेनिंग देने लगे लेकिन 20-22 युवक ट्रेनिंग के लिए रोजाना नियत समय पर प्रशिक्षण स्थल पर आते रहे और ऐसे में उन्हें ओसतन दो से तीन मिनट का ही समय मिलता था। जबकि अगर प्रति हितग्राही आधा घंटा भी समय मिलता तो वे ट्रेंड हो जाते। इस दौरान वे एक एक युवक को दो दो समोसा भी देते थे,इस पूरी ट्रेनिंग और समोसा खिलाने की बात उन्हें दीपक बारीक़ ने ही कहा था। इस पर उनका 14 हजार खर्च हुआ और इसके अलावा उन्हें 45 दिन का 45 हजार देना था लेकिन कुल 42 हजार ही दिया गया।जनपद सीईओ ने बिना की जांच एनजीओ को एक युवक के ट्रेनिंग के पीछे 35 हजार रुपए के हिसाब से पूरे 10 लाख का भुगतान भी कर दिया है।

प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने घटना पर कहा “राज्य में भ्रष्टाचार शिखर पर” पहाड़ी कोरवाओं को बिना प्रशिक्षण बांटे प्रमाण पत्र, निकाल खाये पूरे पैसे, प्रमाण पत्र लेकर दर दर भटक रहे कोरवा भाई, आज सभी ने मेरे निज निवास आकर बताये अपनी समस्या, तत्काल संज्ञान ले शासन अन्यथा हम करेंगें कार्यवाही

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