
रायपुर :- नक्सली आतंकवाद निराकरण से संबंधित “माओवादी की मौत” ‘3’×’5′ आकार के 160 नग फ्लेक्स पोस्टर की तीन दिवसीय प्रदर्शन दिनांक 22 से 24 अक्टूबर 2021 को महासिद्धा संग्रहालय रायपुर स्थित आर्ट गैलरी में आधार हस्ताक्षर करता द्वारा आयोजित किया जा रहा है। दिनांक 22 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को प्रात 11:00 बजे उत्तर प्रदर्शनी के शुभारंभ अति विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया जावेगा। उपरोक्त प्रदर्शनी विगत 30 वर्षों से नक्सली आतंकवाद से संघर्षरत कांग्रेस पार्टी के शहीद,नेता, पदाधिकारी ,कार्यकर्ता ,सीआरपीएफ व पुलिस जवान शासकीय सेवक ग्रामीण आदिवासी तथा नागरिकों की स्मृति में आयोजित है l उक्त प्रदर्शनी में कार्ल मार्क्स के कम्युनिस्ट सिद्धांतों( विशेषकर वर्ग संघर्ष का इतिहास की आर्थिक व्याख्या) समालोचना गई है। लेविन,स्टालिन माओत्सेतुंग’ मार्शल टीटो,हो ची मिन्ह, फिडेल कास्ट्रो व चे ग्वेरा की कम्युनिस्ट क्रांतियों की विवेचना की गई है। विगत 70 वर्षों में चीनी विस्तार वार्ड तथा विश्व की दूसरी सैन्य व आर्थिक शक्ति के रूप में चीन की स्थापना चीन का कोरोनावायरस का विश्वस्तरीय षड्यंत्र चीन के विगत 25 वर्ष की ऐतिहासिक विवेचना ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप 2021 में विश्व की चौथी आर्थिक व सैन्य शक्ति के रूप उत्कर्ष, भारत चीन का राजनीतिक व सैन्य संघर्ष आदि का समावेश है। इसी प्रकार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट विवेचना तथा नक्सलवाद के विरुद्ध सन 2001 से 2009 तक लेखक का जनमत निर्माण हेतु संघर्ष नक्सली आतंकवाद निराकरण के मार्गदर्शक सिद्धांत और तालिबान वाद से संबंधित प्रारंभिक अध्ययन चिंतन का समावेश है। प्रदर्शनी के पोस्टर में उपरोक्त विषयों पर चित्र सहित ऐतिहासिक व्याख्या की गई है।
“माओवाद की मौत” नक्सली आतंकवाद से युद्ध में भारतीय संविधान और देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था का राजनीतिक वैचारिक हथियार है। 20 वर्षों में छत्तीसगढ़ के 70 गुण व विपक्षी राजनीतिक पार्टियों नक्सलवाद के मोर्चे पर एक मात नहीं रहे थे। जबकि कम से कम राज्य में नक्सली आतंकवाद की समाप्ति हेतु कांग्रेस व भाजपा को एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए था। नक्सलवाद सिर्फ कानून व शांति व्यवस्था तथा हिंसा वाद से संबंधित समस्या नहीं होकर भारतीय संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध सीपीआई माओवादी का चीन के समर्थन में गोरिल्ला युद्ध अभियान है। नक्सलवाद से संबंधित विषयों पर छत्तीसगढ़ में राज्यपाल मुख्यमंत्री गृह मंत्री व पुलिस उच्च अधिकारी ही वक्तव्य जारी करते हैं । जबकि सत्तारूढ़ और विपक्षी दल के नेता पदाधिकारी कार्यकर्ता हमें हुए चुपचाप रहते हैं। ऐसी डैनी राजनीतिक परिस्थिति में नक्सलवाद कभी समाप्त नहीं हो सकता है। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात छत्तीसगढ़ क्षेत्र में विगत 74 वर्षों में से लगभग 54 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी की सरकार रही है। इसलिए नक्सली आतंकवाद की उत्पत्ति विकास व अभिवृद्धि के लिए राजनीतिक उत्तरदायित्व से कांग्रेस पार्टी मुक्त नहीं हो सकती है। नक्सल मोर्चे पर भारत सरकार सीआरपीएफ व राज्य सरकार पुलिस बल को तैनात कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करती है। सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा नक्सलवाद की समाप्ति हेतु योजनाएं व रणनीति तैयार किया जाता है। किंतु मैदानी क्षेत्र में उनका क्रियान्वयन नहीं करवा पाता है।
नक्सली आतंकवाद समाप्ति की बलिवेदी पर विगत 30 वर्षों में सैकड़ों पुलिस जवान व अधिकारी सीआरपीएफ जवान शासकीय अधिकारी व कर्मचारी राजनीतिक पार्टियों के विधायक नेता पदाधिकारी व कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र के पंचायत पदाधिकारी सामाजिक कार्यकर्ता व आम नागरिक शहीद हुए हैं। इसलिए नक्सलवाद की समाप्ति हेतु सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी व विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता पदाधिकारी व कार्यकर्ता द्वारा नक्सलवाद विरोधी राजनीतिक कार्यक्रम जैसे राजनीतिक प्रदर्शन जन रैली आम सभा आदि से नक्सली आतंकवाद के विरुद्ध आम जनता ने जनमत निर्माण किया जाना अति आवश्यक है। इससे सीपीआई के नेतृत्व करता वह सर्वत्र कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त होंगे। ऑपरेशन ओं में नक्सलियों की बड़ी संख्या में क्षति होगी। और वे आत्मसमर्पण कर सरकार से संविधान के अंतर्गत शांति वार्ता करने हेतु मजबूर होंगे।
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अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकवाद वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक संकट का केंद्र बिंदु है। तालिबान और पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन परस्पर मिलकर देश व कश्मीर में सीआरपीएफ व पुलिस जवानों आम नागरिकों व मजदूरों की हत्याएं कर भारत में अव्यवस्था व अशांति फैलाने का प्रयत्न कर रहे हैं। लेखक को तालिबान व शरीयत से संबंधित और अधिक अध्ययन चिंतन करने की आवश्यकता है जिससे आगामी महीनों में किया जाना है ।